मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी अधिकारियों की एक मीटिंग में यह घोषणा की, कि वे अब न तो खुद चैन से सोएंगे और न ही भ्रष्ट अधिकारियों को सोने देंगे। मुख्यमंत्री ने इस वक्तव्य के माध्यम से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकारी अधिकारियों को चेताया है। क्योंकि, मुख्यमंत्री के पूर्व कार्यकाल में सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार की भारी गूंज मचने पर मुख्यमंत्री द्वारा सख्त कार्रवाई तो की गई थी, परंतु, फिर भी जनता को शिकायत है कि सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त हैं। तथा जनता की सुख सुविधा कोई कुछ ध्यान नहीं रखते हैं। दागी सरकारी अधिकारी ऊपरी सेटिंग के तहत भारी भ्रष्टाचार कर साफ बचते हुए दिखाई दिये हैं। ऐसे क्रियाकलापों से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी काफी आहत हुए हैं। अब उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया है कि सरकारी कार्यालयों में किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार को नहीं पनपने देंगे। जो भी अधिकारी किसी प्रकार के भ्रष्टाचार के क्रियाकलापों में लिप्त पाया जाएगा, उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। साथ ही उसके आकाओं को भी आईना दिखाया जाएगा। कुल मिलाकर इस बार मुख्यमंत्री अलग एक्शन मूड में नजर आये। यह जनता व प्रदेश के लिए भारी सुखदायक है। क्योंकि, सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार से जनता काफी परेशान है। खासकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार कर लाखों-करोड़ों रुपये कमाना तथा भ्रष्टाचार साबित होने पर भी उनका कुछ ना बिगड़ना भारी दुखदायक साबित हो रहा है। ऐसे ही कुछ भ्रष्टाचार भरे क्रियाकलाप पिथौरागढ़ सिंचाई विभाग में भी हुए हैं। जहां सर्किल के अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता ने रंजिशवश एक अपर सहायक अभियंता महेश चंद गुप्ता सीआर खराब कर दी। इन दोनों अधिकारियों ने सीआर लिखने के सभी नियम कानून तोड़कर सीआर लिखने की निर्धारित अवधि गुजरने पर भी 6 महीने बाद महेश चंद गुप्ता को बताया कि उनकी सीआर असंतोषजनक है। अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा व अधिशासी अभियंता रविदत्त ने डिक्टेटरशिप एवं पॉवर के नशे में अपने गलत कुकृत्यों का विरोध करने वाले अधिकारी महेश चंद गुप्ता के साथ इतना बड़ा अन्याय किया। अगर सीआर खराब करनी ही थी तो निर्धारित अवधि में ही करते। समय निकलने के बाद किस सरकारी नियम कानून के अंतर्गत इन्होंने महेश चंद गुप्ता की सीआर खराब करने का गलत काम किया है। इस घटनाक्रम के पीछे अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा व अधिशासी अभियंता रविदत्त का भारी भ्रष्टाचार छुपा हुआ है। लघु डाल खंड में 80 गरीब ऑपरेटरों को 3900 रुपये प्रति माह दिये जा रहे थे। जबकि ठेकेदार को 7676 रुपये का प्रति ऑपरेटर भुगतान दिया जा रहा था। इसके साथ ही 1200 रुपये ईपीएफ भी नियमानुसार ठेकेदार को ऑपरेटरों के खाते में जमा करना अनिवार्य था, परंतु, ऐसा नहीं हुआ। इन दोनों अधिकारियों के इस भ्रष्टाचार भरे क्रियाकलाप से भाजपा शासन का नाम उस समय भारी बदनाम हुआ था। क्योंकि, संजय कुशवाहा प्रदेश के मंत्री व उच्चाधिकारियों के अपने संबंध का बखान करते रहते थे। तथा ऐसा माहौल बना दिया था कि सबको विश्वास था कि संजय कुशवाहा का कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। आश्चर्य की बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री व सिंचाई मंत्री के पास भुक्तभोगी ऑपरेटरों का साइन किया हुआ लेटर भी कई बार पहुंचाया गया। परंतु, उस पर कोई अच्छी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। जनता को यह भारी शिकायत है कि भारी ईमानदारी के नारे लगाने वाली भाजपा सरकार ने ऑपरेटरों के साथ हो रहे अन्याय करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। और अपर सहायक अभियंता महेश चंद गुप्ता ने मुख्य अभियंता यांत्रिक के पास अपना सारा केस लिख कर पहुंचाया। परंतु, उन्होंने भी महेश चंद गुप्ता को ऐसा जवाब दिया, जिसे सुनकर यह स्पष्ट हो जाता है कि उच्चाधिकारी भी भ्रष्टाचारियों के समर्थन में ही रहते हैं। मुख्य अभियंता ने एक बार भी नहीं सोचा कि अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा ने सीआर लिखने की समयावधि के बाद सीआर खराब क्यों की और किस कारणवश की। यह सारा घटनाक्रम खुला भ्रष्टाचार का केस है। जिसमें विभाग के मुख्य अभियंता तक शामिल हैं। फिर पीड़ित महेश चंद गुप्ता को इंसाफ कौन देता। ऐसे-ऐसे भ्रष्ट उच्चाधिकारियों के कारनामों से ही भाजपा सरकार बदनाम हुई है। हालांकि, सूत्रों से ज्ञात हुआ है नलकूप सर्किल रुड़की के अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा एक नया प्लान बनाकर चर्चाओं में चल रहे बहादराबाद के अधिशासी अभियंता को चार्ज से हटाकर रुड़की सर्किल के किसी खंड के अधिशासी अभियंता को चार्ज देने की फिराक में है। अगर ऐसा होता है तो यह भी उनका बड़ा भ्रष्टाचार सिद्ध होगा। जब अधीक्षण अभियंता को मालूम था कि जब अपने पहले कार्यकाल में बड़े साहब बिष्ट ने यहां बहादराद क्षेत्र में बडे-बडे गुल खिलाए थे तो फिर जानबूझकर किस कारणवश बिष्ट साहब को पुनः बहादराबाद नलकूप खंड का चार्ज क्यों दिया गया। वो तो शुक्र मानिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का, जिन्होंने अल्प समय में ही प्रदेश का मुखिया बनकर जनता का दिल जीत लिया। और भारी विरोध होते हुए भी प्रदेश की जनता भाजपा के समर्थन में आ गई। ऐसे-ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के क्रियाकलाप सामने आने पर ही मुख्यमंत्री को यह कहना पड़ा कि न तो चेन से सोऊंगा और ना ही भ्रष्टाचारियों को चेन से सोने दूंगा। पिथौरागढ़ अल्मोड़ा की जनता व 80 गरीब ऑपरेटर मुख्यमंत्री की तरफ टकटकी लगाए उम्मीद की नजर से देख रहे हैं कि मुख्यमंत्री उनको इंसाफ दिलावाएंगे। इन गरीब ऑपरेटरों का दो साल का ईपीएफ प्रति ऑपरेटर 1200 रुपये अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा और अधिशासी अभियंता रविदत्त तथा संबंधित ठेकेदार ने मिलजुलकर बंदरबाट कर लिया। इसके अलावा संजय कुशवाहा से यह भी पूछना चाहिये कि 7676 रुपये प्रति ऑपरेटर वर्क ऑर्डर बनने पर ऑपरेटरों को किस नियम तहत पूरे दो साल तक 3900 रुपये मिले। तथा किस नियम कानून के अंतर्गत उन्होंने अपर सहायक अभियंता महेश चंद गुप्ता की सीआर खराब की है। यह सभी मामले खुलेआम हुए भ्रष्टाचार के बड़े प्रमाण है। अगर ईमानदार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार पर चोट करना चाहते हैं तो शुरुआत पिथौरागढ़ सिंचाई विभाग से ही कर देनी चाहिये। इसके अलावा संजय कुशवाहा जी ने रुड़की नलकूप सर्किल का चार्ज लेकर यहां भी भ्रष्टाचार के कई कारनामे कर दिखाए हैं। बहादराबाद नलकूप खंड के अधिशासी अभियंता सुरेश पाल को बिना मतलब पद से हटाकर बहादराबाद नलकूप खंड का चार्ज ऐसे दागी अधिकारी को दिया है, जिससे पहले ही पूरा इलाका खफा है। यह अधिकारी बहादराबाद नलकूप खंड में एसडीओ भी है। तथा दो-दो बार इसे डिविजन का चार्ज मिलना भी अधीक्षण अभियंता संजय कुशवाहा द्वारा रचा गया भ्रष्टाचार का ही खेल है। इलाके में चर्चा है कि बहादराबाद डिविजन स्टोर में कई बार चोरी होने की चर्चाएं रही हैं। ऐसा होने के क्या कारण है। पूर्व में जब इस अधिकारी ने बहादराबाद खंड का चार्ज लिया था तो क्षेत्रीय सभी विधायकों ने इस अधिकारी के भ्रष्ट क्रियाकलाप की भार शिकायतें मय प्रमाण के की थी। अब फिर से इसी अधिकारी पर शासन ने विश्वास जताया है। और यह सारा खेल संजय कुशवाहा का रचाया हुआ है। जब सुरेश पाल अच्छी तरह डिविजन चला रहे थे तो चार्ज बदलने की क्या आवश्यकता थी। अभी हाल में जिला योजना व एम एंड आर भुगतानों में यहां भारी अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। तथा चर्चा रही कि भारी मोल भाव कर भुगतान किये जा रहे हैं। ऐसे में कोई साफ-सुथरा गरीब ठेकेदार कार्य कैसे कर सकता है। खंड में एडजेस्टमेंट पर कार्य करने वाले ठेकेदार बड़ी संख्या में हैं। जिनके साथ अवर अभियंताओं की साझेदारी जगजाहिर है। सिंचाई विभागों में फैले इन भ्रष्टाचारों के प्रति कार्रवाई हर हालत में होनी चाहिये।