उत्तराखंड: आज नैनीताल उच्च न्यायालय ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की देवस्थानम बोर्ड एक्ट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। इस फैसले के तुरंत बाद उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रेस वार्ता की,जिसमें उन्होंने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया है।
मुख्यमंत्री आवास में आयेाजित प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से बोर्ड का गठन किया गया है। पिछले वर्ष 36 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए। आने वाले समय में इसमें बहुत वृद्धि होने की संभावना है। इसलिए इतनी बड़ी संख्या मे आने वाले यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। माननीय उच्च न्यायालय ने एक तरह से राज्य सरकार के निर्णय पर अपनी मुहर लगाई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है।जहां भी धर्म और संस्कृति का विषय होता है, वहां परंपराओं का बहुत महत्व है। हमने चारधाम के संबंध में सभी परम्पराओं का बनाए रखा है।सैंकड़ों सालों से स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज ने चारधाम की पवित्र परम्पराओं का संरक्षण किया है। विपरीत परिस्थितियों के होने पर भी दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का ध्यान रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं देखा है कि बरसात में रास्ते बंद हो जाने पर किस प्रकार तीर्थ पुराहितों ने श्रद्धालुओं के रूकने, खाने आदि की व्यवस्था की है। इसी भावना के कारण उत्तराखंड को देवभूमि का मान मिलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थ पुराहितों ने यहां की परंपराओं का संरक्षण किया है और देवभूमि का मान बढ़ाया है, उनके हितों की रक्षा, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
गौरतलब है,भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमणयम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि, सरकार ने चार धामों समेत कुल 51 मंदिरो का आधिपत्य अपने हाथों में लिया है, जो गलत है। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताते हुए न्यायालय से इसपर रोक लगाने को कहा था।