सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक फैसले में उत्तराखंड सरकार को हरिद्वार में सार्वजनिक भूमि पर अवैध रूप से बनी 4 धार्मिक संरचनाओं को हटाने के लिए 31 मई, 2021 तक का समय दिया है। राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन संरचनाओं को नष्ट करने के खिलाफ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा किए गए आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया है। साथ ही पीठ ने कहा है कि ये संरचनाएं अनाधिकृत हैं, क्योंकि इनका निर्माण बिना अनुमति के किया गया था।परिषद के वकील के यह कहने पर कि इनका निर्माण सिंचाई विभाग की भूमि पर किया गया है, तो पीठ ने पूछा कि अस्थायी रूप से आवंटित भूमि पर स्थायी स्ट्रक्चर कैसे बना सकते हैं।अंत में शीर्ष अदालत ने कहा, “हमारा मानना है कि राज्य को 31 मई, 2021 तक का समय अवैध संरचनाओं को हटाने के लिए देना चाहिए।”राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य इन संरचनाओं को नष्ट करने के खिलाफ नहीं था। साथ ही कहा कि हरिद्वार में सभी अवैध ढांचों को हटाने में समय लगेगा, क्योंकि उनमें से कई का उपयोग अगले साल की शुरुआत में होने वाले कुंभ मेले की मेजबानी में होना है।हाईकोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार को 23 मार्च तक सार्वजनिक जमीन से सभी मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चचरें को खाली करने का निर्देश दिया था। तभी से ही राज्य सरकार यह तर्क दे रही थी कि उसने हरिद्वार को छोड़कर अन्य अतिक्रमण की गई सार्वजनिक भूमि से सभी धार्मिक ढांचे हटावा दिए थे।