प्रयागराज सह समवाद 17 सितंबर।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलग-अलग धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी के भी दखल देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि अलग-अलग धर्मों के बालिग जोड़े को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है। उनके माता-पिता भी दोनों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखते हैं।
हाईकोर्ट के जस्टिस एमके गुप्ता और जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच ने शिफा हसन नाम की लड़की की याचिका पर यह फैसला दिया है। दरअसल, शिफा हसन ने हिंदू लड़के से लव मैरिज की थी। उसने गोरखपुर के DM से मुस्लिम की बजाए हिंदू धर्म अपनाने की अनुमति मांगी है।
लड़की के आवेदन पर गोरखपुर के DM ने पुलिस थाने से रिपोर्ट मांगी। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लड़के के पिता शादी से खुश नहीं है। हालांकि, उसकी मां इस शादी को मानने के लिए तैयार है। दूसरी तरफ लड़की के माता-पिता दोनों ही शादी को लेकर राजी नहीं है। माता-पिता की तरफ से जान के खतरे को देखते हुए जोड़े ने हाईकोर्ट की शरण ली है और सुरक्षा की गुहार लगाई है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि विपरीत धर्म से होने के बावजूद बालिग को अपनी पसंद से जीवन-साथी चुनने का अधिकार है। उनके वैवाहिक संबंधों पर किसी को भी आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। साथ ही हाईकोर्ट ने गोरखपुर जिले की पुलिस को इस बालिग जोड़े की सुरक्षा करने का भी निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि अदालत से बरसों पहले आदेश जारी हो चुका है कि बालिग लड़के या लड़की को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार है, भले ही वह विपरीत धर्म और समुदाय का जीवन साथी चुनते हैं और पुलिस को उनकी सुरक्षा करनी चाहिए। मगर इसके बावजूद अब भी समाज बालिगों पर अपनी पसंद थोपने का प्रयास करता है और पुलिस भी उदासीन रहती है।