- एनआईटी स्थाई परिसर की स्थापना के लिए 909.85 करोड़
- 78.81 करोड़ रुपए वर्तमान अस्थाई कैंपस के सुदृढ़ीकरण हेतु
- 1260 छात्र क्षमता के स्थायी परिसर होगा सुमाड़ी
उत्तराखंड में एनआइटी सुमाड़ी को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्थायी परिसर की स्थापना के लिए 909.85 करोड़ के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एनआइटी उत्तराखंड के निदेशक को मंत्रालय ने पत्र भेजकर पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड में संशोधित लागत प्रस्ताव को स्वीकृति की जानकारी दी। वर्ष 2009 में भी केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना के लिए 300 करोड़ रुपये मंजूर पूर्व में किए थे।केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया 909.85 करोड़ रुपये की कुल संशोधित परियोजना लागत में से स्थायी कैंपस के लिए 831.04 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं ,वहीं श्रीनगर गढ़वाल में मौजूदा अस्थायी परिसर में हॉस्टल, लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स और प्रयोगशालाओं जैसी सुविधाओं के लिए 78.81 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। 1260 छात्र क्षमता के स्थायी परिसर के निर्माण के लिए प्रस्तावित निर्माण क्षेत्र करीब 90450 वर्गमीटर है। उन्होंने बताया कि बुनियादी ढांचे का उपयोग पीजी के अतिरिक्त पाठ्यक्रमों एमबीए, एमएससी आदि के संचालन के लिए भी किया जाएगा। प्लेसमेंट ड्राइव, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, कार्यशालाएं आदि जैसी अन्य गतिविधियों के लिए भी इसका उपयोग किया जाएगा । एनआईटी स्थाई परिसर की स्थापना के लिए 909.85 करोड़ धनराशि मंजूरी पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मानव और संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का आभार व्यक्त किया ।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने व्यय पर संस्थान के लिए बिजली व पानी की व्यवस्था और सड़क का निर्माण करेगी। प्रदेशवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है। एनआइटी के स्थायी कैंपस के निर्माण से प्रदेश में शिक्षा में गुणवत्ता की बढ़ोतरी के साथ साथ स्थायी लोगों की आर्थिकी में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कुल 909.85 करोड़ में से 78.81 करोड़ रुपए वर्तमान अस्थाई कैंपस के सुदृढ़ीकरण के लिए लगाये जाएंगे। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने भी धनराशि की मंजूरी से राज्य की बड़ी मांग की पूर्ति पर खुशी जताते हुए प्रधानमंत्री, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री और मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहा।