उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि कोरोना वायरस के नए वैरिंयट एक्सई को लेकर कसे अपनी कमर,,,

देहरादून द फोकस आई। कोरोना के पुराने वेरिएंट्स से हमारा उत्तराखंड प्रदेश एवं पूरा देश पूर्ण रूप से निजात पा नहीं पाया है और अब एक नए वेरिएंट में और हलचल मचा दी है ।वायरस के नए वैरिंयट एक्सई को लेकर महाराष्ट्र सरकार व केंद्र सरकार में आपसी मतभेद पैदा हो गए हैं। जहां मंबई में दो दिन पहले इस नए वैरियंट का पहला केस दर्ज किया गया है तो वहीं केंद्र यह मानने को तैयार नहीं है कि XE स्ट्रेन ओमीक्रोन का नया रूप हैं।
वहीं मुंबई नगर निगम ने कल दावा किया था कि देश का पहला एक्सई स्ट्रेन का मामला दक्षिण अफ्रिका से आई फैशन डिजाईनर से मिला है जा कि पिछले माह कोविड संक्रमित पाई गयी थीं। उसके सैंपल में एक्सई स्ट्रेन मिलने का दावा किया गया है। उधर केंद्र ने इस जांच में आपत्ति जताते हुए कहा है कि जांच गलत है। उक्त महिला 27 अप्रैल को पॉजिटिव मिली थी। उसका लैब सैंपल मुंबई के कस्तूरबा हॉस्टिपल की लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि वैश्विक जीनोमिक डेटा ने उक्त महिला के सैंपल में एक्सई मिलने की पुष्टि की है। जबकि भारतीय सॉर्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम ने कहा है कि वह इसकी पुष्टि के लिए पश्चिम बंगाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स इस सैंपल की एक बार और जीनोम सीक्वेंसिंग करना चाहता है। इधर महाराष्ट सरकार भी इस केस में एक्सई स्टैन होने की पुष्टि नहीं कर रही है और अभी संभावनाएं ही जता रही है।
एक्सई स्ट्रेन ओमिक्रॉन के बीए.1 और बीए. 2 स्ट्रेन का मिश्रित रूप है। यह ब्रिटेन जैसे देशों में कोरोना के ताजा संक्रमण का जिम्मेदार माना गया है। इस मामले में अभी और तकनीकी जांच की आवश्यकता है, लिहाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इसे जल्दबाजी में एक्सई स्ट्रेन करार दे दिया गया है।
इन सब बातों के विपरीत सतर्कता दिखाते हुए हमारे प्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग को भी इस नए वेरिएंट के खिलाफ लामबंद होने की जरूरत है बचाव और उपचार हेतु तैयारी भी पूरी कर लेनी चाहिए।

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