हरिद्वार : नाबालिक बच्ची का अपहरण करने के बाद उसका बलात्कार एवं हत्या करने के मामले में अदालत ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। पूरे मामले में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह द्वारा मजबूत पैरवी की गई जिसके कारण एक मासूम के परिजनों को न्याय मिला है। अदालत ने इस मामले में आरोपी को फांसी की सजा के साथ-साथ ₹130000 का जुर्माना भी लगाया है।
ऋषिकुल बालात्कार के बाद हत्याकांड के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने मुख्य आरोपी रामतीर्थ पर 1 लाख 30 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। मुख्य आरोपी को सजा के साथ-साथ उसके सहआरोपी मामा राजीव को भी पांच साल की सजा एक लाख का जुर्माना लगाया गया है। मामला विशेष न्यायालय पोक्सो अदालत में चल रहा था जिसमें जज अंजलि नौटियाल की कोर्ट में सजा सुनाई गई है। वहीं इस मामले में एक अन्य आरोपी गंभीर चंद को साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया।
पतंग दिलाने के बहाने ले गया था बच्ची को
बता दें कि 20 दिसंबर वर्ष 2020 के दिन आरोपी घर के बाहर खेल रही बच्ची को पतंग दिलाने के बहाने अपने साथ ले गया था जहां उसने बाद में उसके साथ बलात्कार करते हुए उसकी हत्या कर दी थी। बच्ची के शव को आरोपी ने अलमारी में छिपा दिया था। बच्ची के गायब होने की सूचना मिलने के बाद तत्कालीन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने आरोपी को गिरफ्तार कर पूरे मामले की मजबूत विवेचना करते हुए मासूम बच्ची एवं उसके परिजनों को न्याय दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कोतवाली पुलिस की विवेचना बनी मजबूत आधार
इस पूरे मामले में पुलिस ने तथ्यात्मक एवं ठोस साक्ष्य अदालत के सामने पेश किया जिसके आगे बचाव पक्ष की दलीलें प्रभाव नहीं छोड़ पाई। पुलिस की सटीक विवेचना के कारण मात्र 2 साल में न्यायालय ने आरोपियों को सजा सुनाई है।