विश्वप्रसिद्ध और करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक श्री बद्रीनाथ मोक्षधाम के कपाट आज दोपहर 3:35 बजे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके साथ ही द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के कपाट भी आज सुबह सात बजे शुभ लग्न में बंद कर दिए गए। गंगोत्री, यमुनोत्री और भगवान केदारनाथ के बाद आज बद्रीनाथ मोक्षधाम के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकाल के लिए चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया।
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत लक्ष्मी मंदिर में कड़ाई भोग का आयोजन किया गया। इस भोग को लक्ष्मी माता को लगाया गया और प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओं को यह भोग बांटा गया।वहीं कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की मूर्ति को बदरीनाथ गर्भगृह में रखी और उद्धव व कुबेर की मूर्तियों को बदरीश पंचायत (गर्भगृह) से बाहर लाकर उत्सव डोली में रखकर पांडुकेश्वर के लिए रवाना किया।बता दें कि इस सीजन में अभी तक धाम में एक लाख 38 हजार श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।