कांशीपुर 4 अक्गतूबर। गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केन्द्र, काशीपुर द्वारा संस्थान प्रांगण स्थित प्रेक्षागृह में शदरकालीन गन्ना बुवाई की प्रदेश स्तरीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन आयुक्त, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, उत्तराखण्ड काशीपुर द्वारा किया गया। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये आयुक्त महोदय ने चताया कि प्रत्येक कृषक को नवीनतम तकनीक के आधार पर गन्ने की खेती की जानी चाहिए, “गोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य गन्ना कृषकों को उन्नतशील प्रजातियों के बीज की जानकारी, गन्ने की फसल में लगने वाली तरह-तरह की बीमारियों/कीटों तथा उसमें प्रयोग किये जाने वाली दवाईयों तथा उनको गन्ने की वैज्ञानिक विधि से खेती कैसे करें, जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़े इसकी जानकारी कृषकों को प्रदान करना है।” कृषक को अपनी भूमि की जांच आवश्यक रूप से करानी चाहिए। भूमि में 16 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते है। अतः जांब करने पर हमें पता चलेगा कि हमारी भूमि में कौन से तत्वों की कमी है, तथा भूमि उपचार से फसल में अधिक उत्पादन होता है, साथ ही आयुक्त महोदय द्वारा अवगत कराया गया कि इस वर्ष जारी सट्टा नीति में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों के सम्बन्ध में कृषकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी कि पूर्व में लगने वाली 5 रू० अतिरिक्त सट्टा हेतु पैनेल्टी कृषक हित में समाप्त कर दी गयी है, तथा छोटे कृषकों को ससमय सप्लाई का लाभ दिये जाने हेतु पखवाड़े की संख्या 9 से घटाकर 6 तक सीमित कर दी गयी है। इस गोष्ठी में प्रतिभाग करते हुये उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहापुर द्वारा नामित वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० अरविन्द कुमार ने गन्ना एवं चीनी परता में सुधार हेतु नवीनतम तकनीकी की शरदकालीन गन्ना बुवाई हेतु नवीनतम गन्ना प्रजातियों को 15023, को 0118 को०लखत 14201 आदि प्रजातियों का चुनाव पर प्रकाश डाले हुये बताया कि किसानों अपने खेत में फसल चक्र जरूर अपनाना चाहिए फसल चक्र अपनाने से फसल में बीमारी/कीट लगने की सम्भावना नहीं रहती है। गन्ना लगाने वाले किसानों को गन्ना प्रजातियों की बदलाव करने से फसल में काफी सुधार होता है। पादप रोग विशेषज्ञ डा० सुरजीत प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहापुर द्वारा नामित वैज्ञानिक ने गन्ने में लगने वाले कीट/रोग की पहचान एवं उनकी रोकथाम के उपाय के चारे में प्रकाश डालते हुये गन्ना प्रजाति को० 0238 में रेथ रॉट रोग की चपेट में आने तथा उसके रोकथाम हेतु कीटनाशकों आदि की जानकारी दी। इफको के राज्य विपणन महाप्रबन्धक देहरादून श्री राकेश श्रीवास्तव द्वारा इफकों के उत्पादों खाद एवं उर्वरक तथा विभिन्न उत्पादों के जानकारी दी गयी। श्री नितिन कुमार, केन्द्रीय एकीकृत जीवनाशी संस्थान देहरादून द्वारा गन्ने में लगने वाले रेड रॉट एवं कृषि मंत्री भारत सरकार द्वारा दिनांक 15 अगस्त को कृषकों के हित में लाँच किये गये एप को बारे में जानकारी दी, एप के द्वारा किसान अपने खेत में लगने वाले कीट/रोग के माध्यम से सूचना प्रेषित करेंगे एवं कृषि मंत्रालय भारत सरकार के वैज्ञानिकों द्वारा तत्काल निदान किया जायेगा। उत्तराखण्ड ऑर्गेनिक कम्युनिटी बोर्ड देहरादून द्वारा नामित प्रतिनिधिक द्वारा गन्ने की जैविक खेती को बढावा दिए जाने के विषय में प्रकाश डाला गया। गन्ना शोध केन्द्र काशीपुर के वैज्ञानक श्री संजय कुमार ने गन्ने की पैदावार बढ़ाने के उपाय तथा पंडी प्रबन्धन पर प्रकाश। गोष्ठी में उपस्थित कृषकों द्वारा भी गन्ने की बेहतर फसल उत्पादन कैसे करें, इस सम्बन्ध में अपना सुझाव रखा। इस गोष्ठी में अपर आयुक्त, श्री चन्द्र सिंह इमलाल, संयुक्त, गन्ना एवं चीनी आयुक्त, श्रीमती हिमानी पाठक, इफको के विपणन महाप्रबन्धक श्री राकेश कुमार श्रीवास्तव, प्रचार एवं जनसम्पर्क अधिकारी, निलेश कुमार, सहायक गन्ना आयुक्त, हरिद्वार श्री शैलेन्द्र सिंह, सहायक गन्ना आयुक्त, देहरादून श्री कपिल मोहन, सहायक गन्ना आयुक्त, ऊधमसिंह नगर श्री आशीष नेगी तथा विभागीय व चीनी मिल के 141 अधिकारी/कर्मचारी एवं प्रदेश के 105 प्रगतिशील कृषक गोष्ठी में उपस्थित रहें।