रिपोर्ट : कमलेश कोटनाला
नगर निगम क्षेत्र कोटद्वार में मानकों को सिरे से नकारते हुए खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने का काम किया गया है और खनन भंडारण स्टॉक थोक के भाव बांट दिए गए हैं। इस संबंध में क्षेत्र में भंडारणों को लेकर काफी हो हल्ला भी मचा, लेकिन प्रशासन ने आम जनता को सिरे से नकार दिया और तमाम कानूनों से किनारा कर लिया है।वहीं इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार कमलेश कोटनाला ने सूचना के अधिकार के तहत 25 सितंबर 2019-20 में एक सूचना विभाग से मांगी। जिसमें विभाग द्वारा खनन भंडारण संबंधित नियमों को उजागर किया।
सरकार द्वारा किसी भी भंडारण के लिए सबसे प्रमुख नियम नदी तट से 300 मीटर की दूरी, वन भूमि से 50 मीटर की दूरी, राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य मार्ग जनपथ मार्ग से दूरी 50 मीटर, ग्रामीण क्षेत्रों में मार्ग से दूरी 25 मीटर, धर्मस्थल से दूरी 50 मीटर, शैक्षणिक संस्थान से दूरी 50 मीटर बताए गए थे। नदी से दूरी के संबंध में पहाड़ी क्षेत्रों और मैदानी क्षेत्रों में अलग-अलग मानक बनाए गए हैं। पहाड़ी क्षेत्र में नदी से दूरी का मानक 50 मीटर तथा मैदानी क्षेत्र में यह दूरी के 300 मीटर रखी गई है। कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने नौ खंनन भंडारण स्वीकृत किए हैं। सबसे गजब बात यह है कि, अधिकांश भंडारण मानकों को ताक पर रखकर आवंटित कर दिए गए हैं। कई जगह नदी से दूरी 1 किलोमीटर 2 किलोमीटर से 100 मीटर वन क्षेत्र से यह दूरी 100 मीटर जबकि यह दूरी वास्तविक दूरी से कहीं मेल नहीं खाती। कहीं-कहीं तो अजीब सा उत्तर मिला है, इसमें बंदोबस्ती नक्शा 1960 को आधार बनाकर दूरी को दरकिनार कर दिया गया है। एक कारनामा विभाग को देखने को मिला जिसमें विभाग द्वारा वर्तमान मे चल रहे कुछ भंडारणो का जिक्र तक नहीं किया गया।