दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र निकट परेड ग्राउण्ड, देहरादून के सभागार में जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय द्वारा आयोजित की गयी कार्यशाला।

देहरादून 28 फरवरी। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र निकट परेड ग्राउण्ड, देहरादून के सभागार में जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय द्वारा जिला योजना समिति के निर्वाचित सदस्यों, नामित सदस्यों एवं क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को जिला योजना संरचना से अवगत कराने हेतु एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का शुभारम्भ अध्यक्ष जिला पंचायत/उपाध्यक्ष जिला योजना समिति श्रीमती मधु चैहान, मेयर नगर निगम, देहरादून सुनील उनियाल गामा तथा मुख्य विकास अधिकारी सुश्री झरना कमठान द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी शशि कान्त गिरि ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुये अवगत कराया गया कि कार्यशाला का उद्देश्य शासन से प्राप्त मार्गनिर्देशों, गत वर्षों में की गयी कार्यवाही तथा अगामी वित्तीय वर्षों की कार्ययोजना का निर्धारण किये जाने हेतु समसामायिक दृष्टि, सामाजार्थिक विषमतायें विभिन्न विभागीय समन्वयन, डबटेलिंग, अन्तर्विकासखण्डीय विषमताओं एवं सत्त विकास लक्ष्यों (एसडीजी) आदि को दृष्टिगत रखते हुये जनसामान्य के लिये योजना संरचना कैसे तैयार किये जाए इसकी प्रक्रिया से सदस्यों को अवगत कराया। अगले चरण में अपर सांख्यिकीय अधिकारी पी०एस० भण्डारी द्वारा जनपद की जिला योजना समिति की संरचना की संक्षिप्त प्रस्तुति की गयी। तद्पश्चात उप निदेशक, अर्थ एवं संख्या निदेशालय निर्मल शाह द्वारा विस्तृत रूप से जिला योजना तैयार किये जाने की प्रक्रिया से सदस्यों को अवगत कराया गया। उनके द्वारा बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र की ग्राम योजना सर्वप्रथम ग्राम सभा से पारित कर क्षेत्र पंचायत को प्रेषित की जायेगी। क्षेत्र पंचायत समिति द्वारा सभी ग्राम सभा से प्राप्त प्रस्तावों को शामिल करते हुये क्षेत्र की विकास योजना तैयार कर जिला पंचायत को संदर्भित की जायेगी। जिला पंचायत द्वारा जनपद की सभी क्षेत्र पंचायतों की विकास योजनाओं को समेकित करते हुये विकास योजना तैयार की जायेगी और उसे जिला योजना समिति को प्रस्तुत की जायेगी। इसी प्रकार प्रत्येक नगरीय निकायों द्वारा स्थानीय लोगों की अपेक्षा के अनुसार नगर की विकास योजना को अंतिम रूप देते हुये जिला योजना समिति को प्रेषित की जायेगी। उप निदेशक द्वारा गाईडलाइन की अन्य निर्देशों पर भी प्रकाश डाला गया तथा अवगत कराया गया कि जिला योजना के अन्तर्गत छोटी योजनाओं को प्राथमिकता प्रदान की जाये बड़ी एवं बहुग्राम योजनाओं को राज्य सेक्टर अथवा केन्द्र पाषित योजनाओं में प्रस्तावित किया जाये। जिला योजना के अन्तर्गत ऐसी योजनाओं/कार्यों का चयन किया जाये, जिन कार्यों को उसी वित्तीय वर्ष या अधिकतम 02 वर्ष में पूर्ण किया जा सके।

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