मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज सचिवालय परिसर में उरेडा द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने और उरेडा द्वारा चलाई गई योजनाओं का विकासखण्ड स्तर तक व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।इस दौरान सीएम रावत ने पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह एवं एनजीओ को जोड़ने पर भी ध्यान देने की बात कही।उन्होंने पर्वतीय जिलों के दो-दो ब्लाॅक को पिरूल ऊर्जा के माॅडल ब्लाॅक के रूप में विकसित करने के भी निर्देश दिए।सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा जो बिजली के उपकरण बनाये जा रहे हैं, उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाए।विशेष उत्सवों एवं पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा और मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर ली जाए।
इस दौरान सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा,प्रदेश में सोलर ऊर्जा के 272 मेगावाट के कार्य स्थापित हो चुके हैं, वर्ष 2019 -20 में 283 विकासकर्ताओं को 203 मेगावाट सौर परियोजनाएं आवंटित की गई है। जिसका कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा।लघु जल विद्युत के 202 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि 1099 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं।उन्होंने कहा बायोमास एवं को-जनरेशन के क्षेत्र में 131 मेगावाट के कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 39 मेगावाट के कार्य प्रगति पर हैं।नगरीय कूड़े से विद्युत उत्पादन के लिए वेस्ट टू इनर्जी नीति का गठन किया गया है। इसके लिए शहरी विकास विभाग द्वारा निविदा की प्रक्रिया गतिमान है।वहीं उरेडा के निदेशक आलोक शेखर तिवारी ने बताया,पिरूल नीति-2018 के अन्तर्गत ऊर्जा उत्पादन हेतु 1060 कि.वा. क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं।