प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय को अब फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। शुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था।
कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेंस कर दी, उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है, जिसमें स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं। वहीं, शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निंशक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया थी। उन्होंने कहा कि मै देश के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 1 करोड़ से अधिक शिक्षकों और 33 करोड़ छात्र-छात्रों को शुभकामनाएं देता हूं।
नई शिक्षा नीति के तहत प्री-प्राइमरी एजुकेशन (3-6 साल के बच्चों के लिए) का 2025 तक वैश्वीकरण किया जाना है। साथ ही सभी के लिए आधारभूत साक्षरता मुहैया कराना है। इसके अलावा सभी को शिक्षा मुहैया कराने के लक्ष्य के साथ NEP में 2030 तक 3 से 18 साल के बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य किया जाना है।
नई शिक्षा नीति में सरकार ने छात्रों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने का भी प्रस्ताव रखा है। इसके लिए 3 से 18 साल के छात्रों के लिए 5+3+3+4 का डिजाइन तय किया गया है। इसके तहत छात्रों की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए 5 साल का प्रोग्राम तय किया गया है। इनमें 3 साल प्री-प्राइमरी और क्लास-1 और 2 को जोड़ा गया है। इसके बाद क्लास-3, 4 और 5 को अगले स्टेज में रखा गया है। क्लास-6, 7, 8 को तीन साल के प्रोग्राम में बांटा गया है। आखिर क्लास-9, 10, 11, 12 को हाई स्टेज में रखा गया है।
छात्रों को आर्ट्स, ह्यूमैनिटीज, साइंस, स्पोर्ट्स और वोकेशनल सब्जेक्ट में ज्यादा छूट और कई सब्जेक्ट्स के विकल्प देने का भी प्रावधान किया गया है। ताकि छात्र अफनी पसंद के विषय पर ज्यादा ध्यान दे सकें। इसके अलावा चूंकि स्टूडेंट्स 2 से 8 साल की उम्र में जल्दी भाषाएं सीख जाते हैं। इसलिए उन्हें शुरुआत से ही स्थानीय भाषा के साथ तीन अलग-अलग भाषाओं में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया है। गौरतलब है कि तीन भाषाओं का फॉर्मेट 1968 से ही शिक्षा नीति में शामिल है।
नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों के लिए क्लास-6 से क्लास-8 तक एक शास्त्रीय भाषा सिखाने का भी प्रस्ताव रखा गया है, ताकि वे नई भाषा सीखने के साथ कुछ अहम भाषाओं के संरक्षण में भी शामिल रहें। सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में क्लास-6 से 8वीं के बीच कम से कम दो साल का लैंग्वेज कोर्स प्रस्तावित है। दूसरी तरफ छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पढ़ाई के साथ फिजिकल एजुकेशन को जरूरी बनाने का नियम भी रखा गयया है। सभी छात्रों के लिए स्कूल के हर स्तर पर खेल, योगा, मार्शल आर्ट्स, डांस, गार्डनिंग जैसी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज भी सुनिश्चित की जाएंगी।
रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा,जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद पीएचडी (PhD) कर सकते हैं. इसके लिए एमफिल (M.Phil) की जरूरत नहीं होगी।इसके अलावा लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन सिंगल रेग्युलेटर के जरिए होगा ।यूनिवर्सिटीज और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे ।सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे ।