दिल्ली / देहरादून 11 जुलाई : उत्तराखंड भाजपा में धामी सरकार पर धन सिंह नामक ग्रहण की गूंज दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है और भाजपा के शीर्ष नेता अब इस पर पिछले 5 वर्षों की विवेचना कर रहे है।सूत्रो की माने तो प्रभारी दुष्यंत गौतम ,शिव प्रकाश , जे पी नड्डा एवम भाजपा की कोर टीम ने धन सिंह के कार्यकाल का ब्यौरा तलब कर लिया है तथा आईबी एवम इंटेलिजेंस से पूरी स्तिथि का विवरण मांगा जा रहा है । हम यहां बता दे कि उत्तराखंड में सबसे ज्यादा त्रिवेंद्र एवं धामी सरकार में मंत्री धन सिंह रावत पर आरोप लगते रहे है और आयुष्मान घोटाला हो या उच्च शिक्षा अथवा चिकित्सा शिक्षा स्वास्थ्य घोटाला हो, सूचना का अधिकार अधिनियम के माध्यम से खुलासा होने पर प्रकाश में आते रहे है और सबसे बड़ी बात यह है कि धन सिंह ने कभी शिकायतों के निस्तारण या उन पर करवाही करने का काम ही नहीं कोई किया उनकी चुप्पी तब सामने आई जब वो जनता के बीच इतने अप्रिय हो गए की उनकी जीत सिर्फ मोदी जी के प्रभाव के चलते मात्र 587 वोटो से ही जीत पाए अन्यथ ये सीट गणेश गोदियाल के खाते में जाती ।धन सिंह रावत का राजनीतिक ग्राफ कितना गिरा है यह इस तथ्य से ही स्पष्ट है कि वो जनता में मात्र 587 वोटो से बहुत मुश्किल से जीत पाए ,हालांकि एक बार तो भाजपा में यह तय होने जा रहा था की कम वोटो से जीतने वाले विधायक को मंत्री न बनाया जाए क्योंकि धन सिंह से कही ज्यादा हजारों में जितने वाले विधायक बहुत संख्या में है और उनसे ज्यादा सीनियर एवम अनुभवी भी तथा जो दो से तीन बार जीते है उनको प्राथमिकता के आधार पर मंत्री बनाया जाना चाहिए था, पर अपनी अंदरूनी पैठ के चलते धन सिंह 587 वोट से जीतने के बाद भी अपने दिल्ली में बैठे आकाओं के दम पर मंत्री पद पा गए ,पर अब वही आका उनके मंत्री पद पर रहे या न रहे आगे अपने ऊपर के आकाओं से नजरे बचाते फिरते दिख रहे है।