आज सोमवार को हाईकोर्ट में प्राइमरी व उच्च माध्यमिक स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से तीन माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। बता दें, सरकार ने कोर्ट से सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच हेतु छः माह का समय मांगा परन्तु कोर्ट ने छः माह का समय न देकर तीन माह के भीतर सभी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है।
गौरतलब है, स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने कोर्ट में जनहित याचिका में कहा था, राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजो के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किये गए है।जिनमें से कुछ अध्यापको की एसआईटी जांच की गई परन्तु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ऐसे शिक्षकों को क्लीन चिट दे दी गयी और ये अभी भी कार्यरत है। संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच के करने को कहा है। पूर्व में राज्य सरकार ने अपने शपथपत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजो के आधार पर फर्जी पाए गए है उन पर विभागीय कार्यवाही चल रही है।