उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों के बाद अब अन्य राज्यों के लोग भी चारधाम के दर्शन कर सकेंगे ।बशर्ते बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों को दर्शन के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से अधिकृत लैब से 72 घंटे पहले की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिये।इसके अलावा बोर्ड से जारी ई-पास हो तो वे प्रदेश में स्थित चारों धामों की यात्रा पर आ सकते हैं।प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद देवस्थानम बोर्ड की ओर से इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी कर दी गई है। ई-पास और यात्रा की गाइडलाइन देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।वहीं,ऐसे यात्री जिन्होंने 72 घंटे के भीतर कोरोना जांच न कराई हो, उन्हें 14 दिन क्वारंटीन होना होगा।इसकी जानकारी देहरादून में देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच चारधाम यात्रा को गति देने के लिए बाहरी प्रदेशों के लोगों को प्रदेश सरकार और देवस्थानम बोर्ड द्वारा चारधाम यात्रा की अनुमति दी जा रही है।उन्होंने कहा कि भविष्य में हालात सामान्य होने पर चारधाम यात्रा को अधिक गति दी जायेगी।रमन ने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि चारों धामों में धीरे-धीरे तीर्थयात्रियों की आवाजाही हो ताकि पर्यटन एवं तीर्थाटन को गति मिल सके,उन्होंने साथ ही बताया कि अभी तक उत्तराखंड के दस हजार से अधिक तीर्थयात्री चारधामों के दर्शन कर चुके हैं और देवस्थानम बोर्ड शुक्रवार तक 21,178 ई-पास जारी कर चुका था।
सभी धामों में थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजेशन के बाद ही मंदिरों में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि मास्क पहनना और सामाजिक दूरी की अनिवार्य शर्तों का भी पालन किया जा रहा है।
रमन ने कहा कि यात्रा मार्ग पर देवस्थानम बोर्ड के यात्री विश्राम गृहों को तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु खोला जा चुका है,उन्होंने कहा कि उनसे अपेक्षा की जा रही है कि बेहद जरूरी होने पर ही वे धामों में रूकें और कोशिश करें कि मंदिरों में दर्शन के बाद पास के स्टेशनों तक वापस आ जायें।वहीं दूसरी देवस्थानम बोर्ड ने इस फैसले का विरोध किया है और बोर्ड द्वारा तीर्थपुरोहितों और स्थानीय हकहकूक धारियों को विश्वास में न लेने का आरोप लगाया है।