सीएम धामी ने किया देहरादून में ‘जागर ढोल संस्कृति उत्सव’ में प्रतिभाग।

देहरादून 3 सितंबर। सीएम धामी ने किया देहरादून में ‘जागर ढोल संस्कृति उत्सव’ में प्रतिभाग।
उत्तराखंडी लोक संस्कृति में ‘ढोल-दमाऊ’ हैं मंगल उत्सवों की शान।
प्रदेश की संस्कृति रूपी विरासत को सहेजने के लिए विख्यात है सीएम धामी,संस्कृति का सम्मान धर्मरक्षक धामी की पहचान।
जागर ढोल संस्कृति उत्सव कार्यक्रम में मंच पर जाने से पूर्व उतारे जूते।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सर्वे चौक स्थित आई. आर. डी. सभागार में आयोजित जागर लोक संस्कृति उत्सव में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री सचिदानन्द सेमवाल द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘उत्तराखण्ड का लोक पुत्र प्रीतम भरतवाण’’ का विमोचन करते हुए उन्हें उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति का ब्राण्ड एम्बेसडर बताया। उन्होंने कहा कि पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने देवभूमि की पवित्र लोकपरम्पराओं एवं लोक संस्कृति को विश्व में पहुंचाने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने ऐसे आयोजनों को राज्य की प्राचीन समृद्ध लोक संस्कृति का उत्सव बताते हुए कहा कि जागर को उत्तराखण्ड की संस्कृति में देवताओं के आह्वान का भी माध्यम माना गया है।

मुख्यमंत्री ने जागर एकेडमी के माध्यम से युवाओं को इस विधा से जोडने के लिये प्रीतम भरतवाण के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जागर एवं ढोल वादन हमारी सांस्कृतिक पहचान है। यह हमें अपनी विरासत की गहराई से जोडती है। अपनी लोक संस्कृति की इस समृद्ध विधा को युवा पीढी के साथ पीढी दर पीढी आगे बढाने के प्रयासों से हमारे युवा इस परम्परा को आगे बढाने का कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य की लोककला, लोक संस्कृति की समृद्धि के लिये निरन्तर प्रयासरत है। नवोदित व उदीयमान प्रतिभावान साहित्यकारों को भी सम्मान दिये जाने की परम्परा शुरू की गई है। लोक कलाकारों की सूची तैयार कर उन्हें प्रोत्साहित कर सहायता प्रदान की जा रही है। कोरोना काल में 3200 लोक कलाकारों को पैकेज के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करने का कार्य किया गया है। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोक कलाकारों को 03 हजार रू0 मासिक पेंशन दी जा रही है। पौराणिक मेलों को उनके मूल स्वरूप में स्थापित करने के लिये भी मदद दी जा रही है। कलाकारों को बेहतर मंच मिले इसके भी प्रयास किये जा रहे है। जागर गायन शैली एवं प्राचीन परम्परागत लोक कला व लोक संस्कृति को गुरू शिष्य परम्परा के माध्यम से पहचान दिलाने एवं लोक कला व लोक संस्कृति से जुडी लिपियों को प्रकाशित करने तथा आर्ट गैलरी के माध्यम से उन्हें संरक्षित करने का भी कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने पुस्तक के लेखक श्री सच्चिदानंद सेमवाल के प्रयासों की भी सराहना करते हुए कहा कि उनका यह प्रयास प्रीतम भरतवाण के सदप्रयासों को जन-जन तक पहुंचाने में मददगार होगा। मुख्यमंत्री ने सभी से अपनी लोक संस्कृति को सहेजने तथा इसे भावी पीढी तक पहुंचाने में समर्पित भाव से कार्य करने की भी अपेक्षा की।

कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने प्रीतम भरतवाण को जागर संस्कृति का प्रतीक तथा लोक संस्कृति का संवाहक बताते हुए विश्व में लोक संस्कृति को पहचान दिलाने वाला बताया, कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रीतम भरतवाण ने जागर एवं ढोल संस्कृति को विश्व तक पहुंचाने का कार्य किया। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूडी ने उनके प्रयासों को युवा पीढी को अपनी संस्कृति से जोडने का माध्यम बताया। पूर्व डीजीपी श्री अनिल रतुडी तथा साहित्यकार श्री सोमवारी लाल उनियाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। पुस्तक के लेखक श्री सच्चिदानंद सेमवाल ने पुस्तक की विषय वस्तु की जानकारी दी। पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने मुख्यमंत्री सहित कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों का आभार व्यकत किया।

इस अवसर पर बडी संख्या में लोक संस्कृति एवं साहित्य से जुडे गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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