सामरिक दृष्टि से घातक है,उत्तराखंड के सीमांत जिलों से पलायन

उत्तराखंड राज्य लंबे अरसे से पलायन की मार झेल रहा है।मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण लगातार लोग पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों का रुख कर रहे है।जिससे पहाड़ी जिलों के कई गांव मानवविहीन हो चुके हैं और शहरों में दवाब बढ़ता जा रहा है।इससे प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक ताने-बाने पर प्रभाव तो पड़ा ही है,साथ ही साथ सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण उत्तराखंड के लिए सीमांत जिलों जो नेपाल और चीन की सीमा से लगते हैं,वहां से हो रहा पलायन चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है।जिसको लेकर आय दिन देश की सुरक्षा को लेकर तमाम संगठन, समितियां चिंता व्यक्त कर अपने विचार साझा कर रही है।

आज मंगलवार को इसी को ध्यान में रखते हुए प्रज्ञा प्रवाह के तत्वाधान में गठित सांख्यिकी एवम सर्वेक्षण समिति के द्वारा वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया।साथ ही बैठक में कोविड-19 महामारी के कारण हो रहे पलायन और वर्तमान में आपदा को कैसे अवसर में तब्दील किया जाए पर भी गहन चर्चा की गई।जिसमें प्रोफेसर डीपी सकलानी ने विस्तृत रूप से समिति और उसकी गतिविधियां और कोविड की परिस्थितियों में प्रवासियों का पलायन तथा पलायन से उत्पन्न प्रदेश में अवसर पर आंकड़े इकट्ठे करने के साथ ही कई अन्य विषयों पर समिति द्वारा कार्य करने हेतु निर्देशित किया। बैठक का संचालन डॉक्टर रवि दीक्षित ने किया, इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संयोजक भगवती प्रसाद राघवजी ने वैचारिक रूप से इसमें किए जा रहे काम और उसके लिए उपलब्ध श्रोताओं तथा विषय की गंभीरता पर अपने उद्बोधन पर प्रकाश डाला। इसके अलावा डॉ रवि दीक्षित, डॉ एम एस गुंसाई, डॉ किरन बाला नौटियाल,डॉ दिनेश जैसाली,डॉ रविकुमार जोशी और सांख्यिकी एवम सर्वेक्षण समिति के अध्यक्ष डॉ एस के सिंह ने बारी बारी से अपने विचार प्रस्तुत किए और पलायन पर गंभीर मंत्रणा के पश्चात सबने यह माना कि पलायन, सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक,धार्मिक और पर्यावरणीय दुष्प्रभावों के साथ -साथ सामरिक चिंता एक महत्वपूर्ण कारक बन रही है।राज्यगठन के बाद से ही सीमांत जिलों में जनशून्यता आई है,जिससे भविष्य में चीन और नेपाल द्वारा होने वाले सामरिक नुकसान को नकारा नहीं जा सकता।लिहाज़ा ,इस स्थलों पर पलायन के कारणों को शोध के माध्यम से पता लगाने की कटिबद्धता वर्चुअल बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने प्रकट की।इसके अलावा सभी ने भविष्य में अपने शोध कार्यों के मार्फत सरकार की सहायता करने की प्रतिबद्धता भी जाहिर की।

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