आमदोहि (बांकुड़ा–पश्चिमी बंगाल) 3 मई। हम अपने पश्चिम बंगाल की यात्रा के सफर के दौरान एक ऐसे गांव में पहुंचे जहां पहुंचकर बातचीत के दौरान हमें मालूम चला कि वहां सरकारी शिक्षण संस्थानों में नाम मात्र की शिक्षा ही दी जाती है।
कक्षा 1 से 9 तक के बच्चों से बातचीत करने के दौरान हमें यह मालूम चला कि इन्हें अंग्रेजी की शुरुआती अक्षर एवम अन्य पाठ्यक्रम भी ढंग से पढ़ने लिखने नहीं आते।
इसी क्रम में हमने कुछ बच्चों से बातचीत की,, उन सभी बच्चों ने स्पष्ट रूप से बताया कि सरकारी शिक्षण संस्थान जिसकी सर्वों सर्वा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं।
उक्त शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता बहुत ही निचले स्तर पर है।
बच्चों ने बताया कि उनको उनके विद्यालय में मिलने वाली शिक्षा को यदि निजी प्राइवेट ट्यूशन में पढ़ाई जा रही/ प्रदान की जा रही शिक्षा से मापें तो सरकारी विद्यालय की औपचारिक शिक्षा बहुत ही हल्के स्तर की है और जो निजी ट्यूशन ग्रहण कर रहे हैं वह उसके कंपैरिजन में बहुत ही ऊंचा कद हासिल की हुई है।
इस दौरान बच्चों से बातचीत में उन्होंने प्राइवेट ट्यूशन पढ़ने वाली उनकी शिक्षिका श्रीमती दौला बागुली को बेहतर शिक्षा प्रदान करने वाली शिक्षिका बताया।
श्रीमती बागुली से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके परिवार में सभी लोग उच्च शिक्षा ग्रहण किए हुए हैं उनको लगा कि क्योंकि उनके परिवार में सभी लोग शिक्षित हैं और गांव में आसपास के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता की खासी कमी देखी है तो इन्होंने चाहा कि सभी लोग शिक्षित हों और आगे बढ़ें,, देश- प्रदेश की सेवा में अपना योगदान प्रदान कर पाएं।
इसी सोच को केंद्रित करते हुए इन्होंने निशुल्क शिक्षा प्रदान करना शुरू कर दी। देखते ही देखते उनके पास 20 से अधिक बच्चे निशुल्क शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं।