किसी राष्ट्र का चरित्र एक दिन में नहीं बनता: आत्मानुशासन,नैतिकता,इमानदारी किसी धर्माधिकारी या सिर्फ किसी इथिक्स की पुस्तक में नह पढ़ कर नहीं आती :
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान –
जापान का एक लड़का अपने छोटे भाई के अंतिम संस्कार के लिए लाइन में खड़ा है।
एक इंटरव्यू में फोटोग्राफर बता रहा है कि बच्चा स्वयं को रोने से रोकने के लिए अपने होठों को इतनी जोर से दबाये हुए है कि उसके होठों से खून निकलकर नीचे गिरने लगता है। जब श्मशान का रखवाला उसका नंबर आने पर कहता है कि “जो बोझा तुमने अपनी पीठ पर ले रखा है वह मुझे दे दो” तो बच्चा कहता है “यह बोझा नहीं मेरा भाई है” और कहते हुए वहां से निकल जाता है सोशल मीडिया पर अग्रसारित इस संदेश के अनुसार आज भी यह तस्वीर शक्ति का प्रतीक मानी जाती है!
द फोकस आई उपरोक्त सोशल मीडिया पर अग्रसारित संदेश की सत्यता की पुष्टि नहीं करता।