मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में मौसम विभाग के द्वारा जारी किए गए अलर्ट के मद्देनजर सभी मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारी को दिए आवश्यक निर्देश।

देहरादून 17 जुलाई : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में मौसम विभाग द्वारा दी गई भारी वर्षा की चेतावनी के दृष्टिगत सभी मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को आपदा से संबंधित किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हर समय तैयार रहने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन की दृष्टि से हर स्तर पर सतर्कता बरती जाए, इस सम्बन्ध में सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के भी उन्होंने निर्देश दिये हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से जिओ टैगिंग के साथ  तैनात जेसीबी को हर समय तैयार रखा जाय। आपदा से सम्बन्धित संभावित स्थलों पर इनकी पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। ताकि बंद रास्तों को तुरंत खोला जा सके।मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ एवं एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। किसी भी आपदा की स्थिति में कम से कम रेस्पोंस टाईम में बचाव व राहत कार्य संचालित हों। बारिश या भूस्खलन से सड़क, बिजली, पानी की आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में कम से कम समय में आपूर्ति सुचारू की जाय।मुख्यमंत्री ने पर्यटकों और जनसामान्य से भी अपील की है कि भारी बारिश की सम्भावना को देखते हुए नदियों एवं बरसाती नालों की तरफ न जाए।वर्षाकाल में अत्यधिक वर्षा की सम्भावना के दृष्टिगत राज्य में पर्वतीय जनपदों में 69 खाद्यान्न गोदाम चिन्हित हैं। जिनमें सड़क मार्ग के बन्द होने की सम्भावना होती है। ऐसे समस्त 69 खाद्यान्न गोदामों में वर्षाकाल हेतु 03 माह (जून जुलाई, अगस्त, 2022) के अग्रिम खाद्यान्न का प्रेषण किया जा चुका है। लोक निर्माण विभाग द्वारा मानसून काल में संचालित मार्गों के बंद होने की स्थिति में खोलने हेतु विभिन्न मार्गों पर कुल 396 मशीनों (जे.सी.बी., पोकलेन, रोबोट आदि) की तैनाती की गई है।सिंचाई विभाग द्वारा नदियों के जलस्तर की लगातार मॉनिटरिंगसिंचाई विभाग द्वारा प्रत्येक जनपद में बाढ़ नियंत्रण कक्ष तथा देहरादून में केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी है। सिंचाई विभाग द्वारा 23 स्थानों पर नदियां तथा 14 स्थानों पर बैराज / डैम पर जलस्तर तथा डिस्चार्ज की निगरानी की जा रही है। सिंचाई विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में 113 राजस्व बाढ़ चोकियों स्थापित की गयी है।उत्तराखण्ड जल संस्थान के द्वारा कन्ट्रोल रूम की स्थापना की गयी है। दैवीय आपदा से सम्बन्धित क्षति को दृष्टिगत करते हुये पेयजल योजनाओं के तत्काल पुनर्स्थापना हेतु 86.31 कि.मी जी.आई पाईप एवं 110.62 कि.मी एच.डी.पी.ई. पाईप कुल 196.93 कि.मी पाईप शाखाओं में बफर के रूप में उपलब्ध करा दिये गये है। आपदा की स्थिति में विभिन्न शाखाओं में पेयजल उपलब्ध कराये जाने हेतु 71 विभागीय टैंकर उपलब्ध हैं एवं किराये के 219 पेयजल टैंकर चिन्हित हैं। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा राज्य के 13 जिलों में अबाधित विद्युत् आपूर्ति करने हेतु पूर्ण व्यवस्था की गयी है। हर जिले में स्थापित स्टोर सेंटर पर विद्युत सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलबध है एवं ऋषिकेश में गढ़वाल क्षेत्र का मुख्य स्टोर है और हल्दवानी में कुमाऊँ क्षेत्र का मुख्य स्टोर है जहां पर समस्त सामग्री पहुंचाई जा चुकी है। दोनों गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल को मिलाकर स्टोर्स की संख्या 17 है। जिसमे ट्रांसफार्मर की संख्या 796, पोल्स की संख्या 8650 अथवा 3769 किलोमीटर का कंडक्टर दोनों गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल को मिलाकर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त अन्य आवश्यक सामान भी उपलब्ध कराये गए है।चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखण्ड विभाग द्वारा राज्य के 13 जिलों में 24Û7 चिकित्सा उपचार करने हेतु पूर्ण व्यवस्था की गई है। हर जिले में स्थापित सभी चिकित्सालयों में डॉ०, पैरामेडिकल स्टाफ, दवाईयां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। 108 एम्बुलेंस हर जिले में तैनात हैं। इसके साथ ही हर जिले / मुख्यालय में नोडल एवं सह नोडल अधिकारी तैनात हैं।एसडीआरएफ के अतिरिक्त 15वीं वाहिनी, एन०डी०आर०एफ० को आपदा से निपटने के लिए उत्तराखण्ड राज्य, जिला उधमसिंह नगर के गदरपुर में स्थापित किया गया है। 15वीं वाहिनी, एन०डी०आर०एफ० द्वारा मानसून 2022 के मध्यनजर उत्तराखण्ड के अति संवेदनशील एवं संवेदनशील क्षेत्रों को देखते हुए 06 टीमों को अलग-अलग जिलों (अल्मोड़ा, पिथौरागढ, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग (केदारनाथजी) एवं आर.आर.सी. झाझरा (देहरादून) में समस्त साजो सामान के साथ तैनात किया है।आपदा के दृष्टिगत दुर्गम स्थलों में दूरसंचार व्यवस्था सुचारू बनाए रखने हेतु एस०डी०आर०एफ० द्वारा उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन्स को भी सुचारू रखने हेतु संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश निर्गत कर दिए गए हैं। वर्षाकाल में पेड उखड़ने / गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है व कई बार मार्ग बाधित हो जाते हैं, ऐसी घटनाओं की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित वन क्षेत्राधिकारियों को सूचित करते हुए तुरन्त कार्यवाही की जा रही है।

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