मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खटीमा गोलीकांड में शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान का सम्मान और उनके सपनों के अनुरूप समृद्ध और प्रगतिशील उत्तराखंड बनाने के हम लिए संकल्पबद्ध हैं।
राज्य आंदोलन के दौरान एक सितंबर 1994 को हुए खटीमा कांड के बलिदानियों को प्रदेशभर में श्रद्धांजलि दी गई। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने उन्हें याद किया गया। विकासनगर में भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष अनुज गुलेरिया के नेतृत्व में राज्य आंदोलन के बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।उनकी याद में पुष्प अर्पित किए गए। इस दौरान राज्य आंदोलनकारी जयंती पटवाल, सविता धायानी, मोहित ठाकुर, दिनेश कुमार, विनायक,दिव्य राणा, चिराग गुलेरिया, राचियता ठाकुर, रोहित पाल, पूर्व जिला महामंत्री भाजयुमो गुरप्रीत सिंह हैप्पी, शुभम गर्ग, आशीष एंथल ने बलिदानियों को नमन किया।
गौरतलब है खटीमा गोलीकांड एक सितंबर 1994 को उधमसिंह नगर जिले के खटीमा में हुआ था, जिसमें पुलिस द्वारा पृथक राज्य की मांग कर रहे आंदोलनकारियों पर बिना चेतावनी दिए अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। जिसमें सात आंदोलनकारियों की मृत्यु हो गयी थी। बता दें, उस दिन उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर सुबह से हजारों की संख्या में लोग खटीमा की सड़कों पर आ गए थे। इस दौरान ऐतिहासिक रामलीला मैदान में जनसभा हुई, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक शामिल थे। जनसभा के बाद दोपहर का समय रहा होगा, सभी लोग जुलूस की शक्ल में शांतिपूर्वक तरीके से मुख्य बाजारों से गुजर रहे थे। जब आंदोलनकारी कंजाबाग तिराहे से लौट रहे थे तभी पुलिस कर्मियों ने पहले पथराव किया, फिर पानी की बौछार करते हुए रबड़ की गोलियां चला दीं। उस समय भी जुलूस में शामिल आंदोलनकारी संयम बरतने की अपील करते रहे।इसी बीच अचानक पुलिस ने बिना चेतावनी दिए अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसके परिणामस्वरूप प्रताप सिंह मनोला, धर्मानंद भट्ट, भगवान सिंह सिरौला, गोपी चंद, रामपाल, परमजीत और सलीम शहीद हो गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। उस घटना के करीब छह साल बाद राज्य आंदोलकारियों का सपना पूरा हुआ और उत्तर प्रदेश से अलग होकर नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड के रूप में नया राज्य अस्तित्व में आया।