बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया गया आध्यात्मिक गुरु श्री प्रणवानंद जी का जन्म दिवस।

आमदोई–बांकुरा (पश्चिम बंगाल) 26 अप्रैल। पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के आमदोई गांव में आध्यात्मिक गुरु श्री प्रणवानंद जी के जन्मदिवस के अवसर पर बड़े ही धूमधाम से कार्यक्रम रखा गया। हम आपको यहां बताते चलें कि आध्यात्मिक गुरु श्री प्रणवानंद जी का जन्म वास्तविक रूप से चैत्र महीने के अमावस्या को हुआ था।
लेकिन इसका आयोजन अप्रैल माह की 21 तारीख को किया गया।
यह आयोजन लगभग तीन दिन तक चला।
इस आयोजन में स्थानीय एवं बाहर से आए आंकड़ों लोगों हेतु भोज एवं रहने की व्यवस्था की गई।
इस अवसर पर कालीपुर से आए उनके दो पीठाधीश्वरों ने अलग-अलग दिनों में अपनी-अपनी शिरकत देकर वहां पहुंची जनता को ईश्वरीय आशीर्वाद से ओत प्रोत कर लाभान्वित किया।
इस कार्यक्रम को मुख्य रूप से वहां के प्रतिष्ठित परिवार से श्रीमती दौला बागुली व श्रीमती माला मुखर्जी ने अमली जामा पहनाया। वस्तुतः इनमें से श्रीमती बागुली जो की खतरा की रहने वाली हैं एवं श्रीमती मुखर्जी जो की चातरा की रहने वाली है।
दोनो आपस में सगी बहनें हैं, इन्होंने अपने पैतृक स्थान पर श्री प्रणवानंद भवन का निर्माण सन 2022 में कराया था। जहां प्रत्येक वर्ष बहुत ही धूमधाम से हजारों लोगों की संगत के साथ श्री गुरु जी का जन्म दिवस मनाया जाता है।
जिस्म की सर्वप्रथम प्रभात फेरी की जाती है उसके उपरांत आए हुए भक्त जनों एवं गांव वालों को प्रसाद रूप में सुबह का नाश्ता दोपहर व रात्रि भोजन बड़े ही प्रेम भाव से कराया जाता है।
इस कार्यक्रम में बच्चे अलग-अलग रूप से अपनी नृत्य एवं अन्य कला ,गायन आदि की प्रस्तुति देते हैं।
इसके साथ ही यहां जात्रा के रूप में अभिनय का कार्यक्रम भी किया जाता है। जिसे बड़े ही उत्साह के साथ वहां पहुंचे सैकड़ो लोग देखते हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान वहां अपनी अपनी कला का परिचय देते हुए अनेकों बच्चों एवं वयस्कों ने अपनी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सभी का मन मोह लिया।
जिसमें की चातरा से आए हुए श्री अमिताव मुखर्जी में ईश्वरीय रूप आदि पर अपने बेहतरीन अभिनय को सबके सामने प्रस्तुत कर एवं कोलकाता से आई आध्यात्मिक गुरु के माध्यम से बनी गुरु बहन श्रीमती संघमित्रा भट्टाचार्य एवं उनकी सुपुत्री शुभ लक्ष्मी सिन्हा ने नृत्य एवं गायन की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। हम आपके यहां पृथक रूप से बताते चलें कि कोलकाता से आई नन्ही सी बच्ची जो शुभ लक्ष्मी एवं उनकी माताजी श्रीमती संघमित्रा ने भिन्न-भिन्न समय में आकर दर्जनों बच्चों को कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए नृत्य की ट्रेनिंग भी दी है।

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