प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग ‘अटल सुरंग’ का उद्घाटन किया। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग का आज सुबह हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में पीएम ने उद्घाटन किया। अटल सुरंग के खुल जाने की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी अब 46 किलोमीटर कम हो गई है।
हिमालय की दुर्गम वादियों में पहाड़ काटकर बनाई गई यह सुरंग समुद्रतल से 3,060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस सुरंग के खुल जाने से हिमाचल प्रदेश के कई ऐसे इलाके जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते बाकी देश से कट जाते थे, वे पूरे साल संपर्क में रहेंगे। मनाली और लेह की दूरी भी इससे खासी कम हो जाएगी।अब तक रोहतांग पास के जरिए मनाली से लेह जाने में 474 किलोमीटर का सफर तय करना होता था। लेकिन ‘अटल टनल’ से यह दूरी घटकर 428 किलोमीटर रह जाएगी। बता दें कि पहले इसका नाम रोहतांग सुरंग था, जिसे बाद में बदलकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अटल सुरंग कर दिया गया।
10 हजार फीट (करीब 3 हजार मीटर) की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग 9 किमी लंबी है। इतनी ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। दरअसल, इसी साल मई में सुरंग का काम पूरा होना था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसमें वक्त लग गया। पीर पंजाल की पहाड़ियों को काटकर यह सुरंग बनाई गई है।यह सुरंग 13,050 फीट पर स्थित रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है। वहीं, मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब 5 घंटे का वक्त लगता है, अब यह करीब 10 मिनट में पूरा हो जाएगा।
यह सुरंग चीन के साथ जारी गतिरोध के मद्देनजर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। अब लद्दाख में तैनात सैनिकों से बेहतर संपर्क बना रहेगा। उन्हें हथियार और रसद कम समय में पहुंचाई जा सकेगी। आपात परिस्थितियों के लिए अटल सुरंग के नीचे एक अन्य सुरंग का भी निर्माण किया जा रहा है।यह किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बनाई जा रही है और विशेष परिस्थितियों में आपातकालीन निकास का काम करेगी। बता दें कि मई, 1990 में इस प्रोजेक्ट के लिए अध्ययन शुरू किया गया था। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों के मुताबिक, प्रोजेक्ट को 2003 में अंतिम तकनीकि स्वीकृति मिली। इसके बाद जून, 2004 में इस परियोजना को लेकर भू-वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पेश की गई थी। साल 2005 में सुरक्षा पर कैबिनेट कमिटी की स्वीकृति मिली और दिसंबर, 2006 में परियोजना के डिजाइन और विशेष विवरण की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया।इसके बाद साल 2007 में इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई। आखिरकार, जून, 2010 में अटल सुरंग (Atal Tunnel) बनना शुरू हुई। इस परियोजना को फरवरी 2015 में ही पूरा होना था, लेकिन कुछ कारणों से इसमें देरी हुई। शुरुआत में यह परियोजना 8.8 किमी लंबी थी, लेकिन पूरा होने के बाद ली गई जीपीएस रीडिंग इसे 9 किमी लंबा दिखाती है।