‘प्रज्ञा प्रवाह’ के द्वितीय सत्र में प्रो सदानंद दामोदर सप्रे ने संगठन की ऐतिहासिक पृष्टभूमि और लक्ष्य के बारे में बताया

भारत की वैचारिक चेतना को जागृत करने के लिए प्रसिद्ध संगठन ‘प्रज्ञा प्रवाह’ द्वारा राष्ट्र प्रथम के सेवाभाव के साथ “क्षेत्रीय अभ्यास वर्ग” का आयोजन किया जा रहा है। 3 सितंबर से 9 सितंबर के मध्य होने वाले इस अभ्यास वर्ग का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के द्वारा किया जा रहा है। अभ्यास वर्ग का द्वितीय सत्र आरम्भ हो चुका है, जिसका विषय ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लक्ष्य कार्य का क्रमिक विकास है। जिसमें प्रो सदानंद दामोदर सप्रे ने अपने उद्बोधन में संघ की विचारधारा में प्रज्ञा प्रवाह के 1987 से वैचारिक कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। इस चिंतन को वर्तमान परिवेश के अनुकूल कैसे आगे बढ़ाया जाए, साथ ही साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारों की भूमिका को वर्तमान युवा के सामने कैसे रखा जाए ,तथा इतिहास की महत्ता ,साथ-साथ कार्यकर्ता की भूमिका को लेकर भी अपने उद्बोधन में विस्तृत रूप से चर्चा की । उन्होंने कहा वैचारिक आधार पर अपने कार्यक्रम को उस उत्कृष्टता पर लाना ही संगठन का उद्देश्य हो ,जिसके लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों ,युवा चिंतकों के साथ-साथ महिला चिंतकों की भी महती भूमिका पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर संचालन का जिम्मा प्रोफेसर वीके सारस्वत द्वारा संभाला गया। इसके अलावा , प्रो डी पी सकलानी, डॉ चैतन्य भंडारी, डॉ बीरपाल सिंह, इंजी. अवनीश त्यागी ,डॉ अंजली वर्मा डॉ दीपक कुमार पाण्डे, प्रो. सोनू द्विवेदी, डॉ रवि दीक्षित, डॉ गुस्साई, अनुराग विजय अग्रवाल आदि अभ्यास वर्ग में उपस्तिथ रहे।

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