पानी गले गले तक आने के बाद नगर निगम और एसपी ट्रैफिक विभाग ने कसी अतिक्रमण हटाने के लिए अपनी कमर…

देहरादून द फोकस आई। अक्सर देखा गया है कि नगर निगम एवं ट्रैफिक विभाग तब तक सख्ती से कार्यवाही करता हुआ नहीं दिखता जब तक कि परेशानियां रूपी पानी गले-गले तक ना आ जाए यदि समय रहते नियम कायदे कानून अतिक्रमणकारियों को याद दिलाया जाता तो आज यह नौबत नहीं आती । जिन फुटपाथ पर दुकानदारों के कब्जों के कारण आम लोगों का चलना मुश्किल हो चुका था वह कभी पुलिस व नगर निगम को नजर ही नहीं आया। अब जब पूरा शहर जाम से हलकान होने लगा तो नगर निगम एवं पुलिस को ऐसे अवरोध नजर आने लगे और आज नगर निगम के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई करते हुए फुटपाथ व सड़कों पर से कब्जे हटाए गए। अब यह पुलिस कार्रवाई का असर कितने दिन नजर आएगा यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन पुराने अनुभव बताते हैं कि ऐसे अभियान केवल एक हवाई बुलबुले ही साबित हुए हैं और कुछ दिनों बाद फुटपाथ ऊपर कब्जों का बाजार फिर नजर आने लगेगा।एक लंबे समय बाद ही सही लेकिन यातायात पुलिस देहरादून द्वारा शहर क्षेत्रान्तर्गत अतिक्रमम करनें वाले दुकानों को चिन्हित किया गया जिनके द्वारा फुतपाथ को घेरकर अपना कब्जा किया गया है।चिन्हित अतिक्रमण स्थल पर कार्यवाही किये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक यातायात देहरादून द्वारा नगर निगम तथा थाना पुलिस से समन्वय स्थापित कर घण्टाघर से प्रभात सिनेमा कट तक तथा दर्शनलाल चौक से घण्टाघर, दिलाराम चौक आदि 30 दुकानदारों पर अवैध अतिक्रमण किये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही की गयी। उक्त अभियान जारी रहेगा तथा चिन्हित स्थलों पर कार्यवाही की जायेगी तथा अन्य स्थलों को भी चिन्हित कियाजायेगा ।उक्त कार्यवाही से जहां एक ओर राहगिरों को सुविधा होगी वहीं दुसरी ओर दुकान स्वामियों को इस कार्यवाही से अतिक्रमण न करनें का संदेश प्रसारित होगा।इस अतिक्रमण अभियान के तहत एक अजीब सी बात सामने आई है देखने वाली बात यह है कि नगर निगम से एवं एसपी ट्रैफिक कार्यालय से दर्शन लाल चौक, राजपुर रोड, चकराता रोड जाने के लिए तहसील चौक से होकर जाना होता है लेकिन इन दोनों कार्यालयों के अधिकारियों को तहसील चौक पर पुराने जिला पूर्ति कार्यालय के बाहर का अतिक्रमण क्यूँ नहीं दिखाई दिया ? जोकि वहां के दुकानदार संपूर्ण फुटपाथ को कब्जाए हुए हैं।उक्त स्थान के फुटपाथ पर किए हुए दुकानदारों के द्वारा कब्जे राहगीरों को तो दिखाई दे जाते हैं परंतु उपरोक्त विभागों के अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई देते ? ऐसी क्या मजबूरी है उनकी कि वहां का अतिक्रमण हटाने में वे कतरा रहे हैं ?

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