पाक की जेलों में बंद 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्व के भारतीय सैनिक

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्व के बाद पाक की जेलों में बंद भारतीय सैनिकों की देश वापसी की मांग की लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका मेजर जनरल कंवलजीत सिंह की पत्नी जसबीर कौर ने दायर की है। मेजर कंवलजीत सिंह पिछले करीब 50 सालों से युद्वबन्दी के तौर पर पाकिस्तान की गैरकानूनी हिरासत में है। याचिका में विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और चीफ आफ आर्मी स्टाफ को पार्टी बनाया गया है।

जसबीर कौर ने याचिका में कहा है कि पिछले 50 सालों से कम से कम 54 भारतीय सैनिक पाकिस्तान की अवैध हिरासत में है। ऐसे सबूत मिलते रहे हैं जिनसे साबित होता है कि तमाम स्थानीय, अंतराष्ट्रीय कानूनों को धता बताते हुए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके मूल अधिकारों का हनन हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संधि है। इसके बावजूद इन भारतीय युद्वबन्दियों की न तो वापसी हो पाई है, न ही उन लोगों के खिलाफ एक्शन हुआ है, जिनपर भारतीय सैनिकों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखकर प्रताड़ित करने का आरोप है।

याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि वो केन्द्र सरकार को इंटरनेशनल रेडक्रास से उन तमाम भारतीय सैनिकों की सूची मुहैया कराने को कहे, जिन्हें हिन्दुस्तान वापस भेजा जाना था, पर अभी तक नहीं भेजा गया। साथ ही कोर्ट भारत सरकार को निर्देश दे कि जिनेवा सन्धि का उल्लंघन कर गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखे गए भारतीय सैनिकों की रिहाई के लिए इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस का रुख करें।

जसबीर कौर ने अपनी याचिका में साल 1999 में जाट रेजिमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया और 5 सिपाहियों  को पाकिस्तान को तरफ से बन्दी बनाकर प्रताडित कर उनकी हत्या की जांच की मांग की है। याचिका के मुताबिक भारत सरकार ने इस मामले की जांच और कार्रवाई के लिए ठोस प्रयास नहीं किये।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। बेंच ने माना है कि याचिका में उठाये सवाल अहम हैं। कोर्ट ने कहा कि ये गम्भीर मसला है। हम केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर रहे है। तीन हफ्रते बाद अगली सुनवाई होगी।

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