उत्तराखंड हाइकोर्ट ने आज आईएफएस संजीव चतुर्वेदी द्वारा
केंद्र सरकार में सीधे भर्ती किए जा रहे संयुक्त सचिवों के खिलाफ दाखिल याचिका में केंद्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कैट के चेयरमैन को नोटिस जारी कर सभी को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के लिए कहा है। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की।दरअसल, फरवरी-2019 में केंद्र सरकार में सीधे भर्ती किए जा रहे संयुक्त सचिवों के खिलाफ आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने कैट नैनीताल में याचिका दायर कर अनियमितता के आरोप लगाए थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस मामले को कैट की दिल्ली बैंच में स्थानांतिरित करने के लिए याचिका दायर की। केन्द्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।इस आदेश को आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी।
गुरुवार को उत्तराखंड में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान संजीव के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि दिल्ली कैट के चेयरमैन नरसिम्हा रेड्डी इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि जस्टिस रेड्डी और संजीव के बीच कई वाद उत्तराखंड उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। कुछ मामलों में जस्टिस रेड्डी स्वयं भी व्यक्तिगत रूप से पक्षकार हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत है कि कोई भी व्यक्ति अपने से जुड़े न्यायिक मामले में न्यायाधीश नहीं बन सकता। हाईकोर्ट ने पूरे मामले को सुनने के बाद केंद्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और कैट चेयरमैन जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।