देहरादून, 30 अगस्त। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में गठित मिशन स्टेरिंग ग्रुप (एमएसजी) में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत को बतौर सदस्य नामित किया गया है। जिसके आदेश केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी कर दिये गये हैं। मिशन संचालन समूह देशभर में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के समग्र कार्यान्वयन एवं प्रगति की निगरानी के साथ-साथ नीति-निर्देशन का कार्य भी करेगा। मिशन स्टेरिंग ग्रुप का सदस्य नामित किये जाने पर डॉ0 रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का आभार व्यक्त किया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत को मिशन स्टेरिंग ग्रुप (एमएसजी) का सदस्य नामित किया गया है। एमएसजी को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गठित सर्वोच्च नीति निर्धारण एवं संचालन निकाय का दर्जा दिया गया है, जो आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन एवं प्रगति की निगरानी कर नीति-निर्देश एवं मार्गदर्शन का काम करेगा। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में व्यापक सुधार करने वाले केरल एवं सिक्कम राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों को भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमएसजी में बतौर सदस्य नामित किया है। इसके अलावा नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ), स्वास्थ्य एवं रेखीय मंत्रालयों के मंत्रीगण, प्रमुख मंत्रालयों के सचिव सहित देशभर के प्रतिष्ठित सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को एमएसजी में शामिल किया गया है। एमएसजी में बतौर सदस्य नामित किये जाने पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया का आभार जताते हुये उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जिस उद्देश्य के साथ मिशन स्टेरिंग ग्रुप का गठन किया गया है, निश्चित रूप से उन उद्देश्यों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बुधवार को दिल्ली में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में एमएसजी की पहली बैठक आयोजित की गई है जिसमें वह स्वयं भी प्रतिभाग करेंगे। बैठक में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के साथ ही भविष्य का रोड़मैप तैयार करने पर विचार विमर्श किया जायेगा। डॉ0 रावत ने कहा कि राज्य में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत लोगों के डिजीटल हेल्थ आईडी कार्ड बनाये जा रहे हैं। सूबे में अब तक 22 लाख से अधिक लोगों की डिजिटल हेल्थ आईडी बन चुकी है। विभागीय मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के तहत स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों जैसे अस्पताल, क्लीनिकों और स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का डिजिटलीकरण किया जायेगा। जिसके तहत सभी अस्पतालों एवं अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं को डिजीटल माध्यमों से जोड़ कर प्रक्रियाओं को सरल एवं ई ऑफ लिविंग में वृद्धि करेगा। डिजिटल इकोसिस्टम भी कई अन्य सुविधाओं में सक्षम बनाएगा, जिसमें टेलीकंसल्टेशन, पेपर-लेस हेल्थ रिकॉर्ड, क्यूआर कोड आधारित ओपीडी पंजीकरण आदि सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। यही नहीं डिजिटल हेल्थ आईडी बनाने के बाद मरीजों का स्वास्थ्य रिकार्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा, जिसको कभी भी कहीं भी एक्सेस किया जा सकेगा।