जाने मंगल और इससे होने वाले प्रभाव क्या है ? : देवेंद्र सिंह बिष्ट –(लेखक) देहरादून।

देहरादून 28 जनवरी। लेख – मंगल क्या है :-
मंगल ग्रह को भूमि पुत्र, भौम और कुंज भी कहा जाता है. यही एक ऐसा ग्रह ग्रह है जिसके पास जीवन और मृत्यु दोनों का अधिकार है। हमारे शरीर को पुष्टि देना उसमें ऊर्जा, साहस, कठिन से कठिन कार्य को भी प्रारम्भ करने की क्षमता प्रदान करता है।
जिसका मंगल बलि हो वे भय के नाम से भी परिचित नहीं होते हैं तथा उनमें ऊर्जा एवं नैतिक शक्ति कूट-कूट कर भरी होती है।
जिसके कारण वे जीवन के किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं होते।

मंगल एक ऐसा ग्रह है जिसकी उपस्थिति कुण्डली या पत्रिका के कुछ भावों या स्थानों में होने पर उस कुंडली की जो पहचान है उसी को बदल कर रख देती है।
वर्तमान समय में प्रचलित नाम मांगलिक अर्थात कुण्डली मांगलिक कहलाती है।
उस कुण्डली की पहचान ही इस ग्रह से बन जाती है।
मंगल इतना प्रभावी है और किसी भी ग्रह के बैठने से उस ग्रह के नाम से कुंडली की पहचान नहीं बनती।
लेकिन मंगल के नाम से बन जाती है। वर्तमान समय में लोग मांगलिक से प्राय: अधिक चिन्तित रहते है क्योंकि मांगलिक नाम को कई नामों से वर्तमान समय में जाना जाता है जैसे दुगना, तिगुना मांगलिक या घोर मांगलिक आदि नामों से जाना जाता है।
प्राय: 8० – 90 प्रतिशत. कुण्डली में या पत्रिका में यह मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
कुजदोषवती देया कुजदोष वते किल ।

नास्ति दोषो न चानिष्टं दम्पत्योः सुखवर्धनम् ।)

अर्थात मंगल दोष अगर स्त्री का भी हो और पुरुष का भी हो तो ऐसी स्थिति में ये दोष समाप्त हो जाता है और दाम्पत्य जीवन में सुख की वृद्धि होती है जब मंगल और मंगल मिट जाए तो कुछ भी मंगल के विषय में सोचने की जरूरत नहीं। और दाम्पत्य जीवन में सुख की वृद्धि होती है क्योंकि जब मंगल और मंगल मिट जाएँ तो कुछ भी मंगल के विषय में सोचने की आवश्यकता नहीं है। आध्‌यात्मिक अनुभूति के आधार पर – प्राय: देखा गया है कि मंगल अधिक कष्टकारी तब होगा जब मंगल और राहु की जन्म कुण्डली के कुछ विशेष स्थानों में साथ में हो,,, तब वैवाहिक जीवन में बहुत परेशानियाँ उत्पन्न होती है।
क्योंकि मंगल बल का कारक है या बल का प्रतीक है तो राहु बाहुबल का आत्महत्या के लिए, चोट के लिए, जबरदस्त घटनाओं के लिए, गुनाह के लिए झगड़े के लिए दुराचार एवं हत्या के लिए इन दोनों ग्रह का सबसे अधिक योगदान होता है।
क्योंकि मंगल दुस्साहसी ग्रह भी है इसीलिए वर्तमान समय में ऐसे मंगल का उपाय अवश्य ही करवाना चाहिए ताकि यह स्थितियाँ उत्पन्न न हो और व्याक्ति अपने जीवन के सुखों को भोग सके और जीवन में शान्ति ला सके।

लेखक – श्री देवेन्द्र सिंह बिष्ट।
नोट– इस लेख में लेखक (देवेन्द्र सिंह बिष्ट) के अपने विचार हैं इसमें द फोकस आई के संपादक / प्रकाशक का कोई लेना देना नहीं है।

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