नादेही 6 अगस्त। गन्ना किसान संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र काशीपुर द्वारा नादेही परिक्षेत्र की ग्राम रामनगर वन में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया ! गोष्टी को संबोधित करते हुए गन्ना विभाग के प्रचार एवं जनसंपर्क अधिकारी श्री निलेश कुमार ने बताया कि बारिश के समय में प्रत्येक गना कृषक को अपने खेत का विशिष्ट ध्यान रखना चाहिए! गने के वृद्धि के समय ऊपर के पत्तियों पर एक दूसरे से उलझना ,पत्तियों का रंग पीला होते हुए सिकुड़ते हुए जाना, जैसे लक्षण पॉका बोइंग बीमारी के हैं !यह एक फफूंद जनित रोग है! इसका प्रसार हवा से हो रहा है! इस कारण इस बीमारी के लक्षण सर्वप्रथम खेत के किनारो पर दिखाई देते हैं! carbendajim नामक दवाई का उचित मात्रा में छिड़काव करने से इस बीमारी को दूर किया जा सकता है !अगले 15 दिन बाद इस दवाई का पुनः छिड़काव करना आवश्यक है! प्रत्येक कृषक को नवीनतम तकनीक के आधार पर गना की कृषि की जानी चाहिए !हमें अपनी भूमि की जांच करानी चाहिए! भूमि में 16 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं ! अतः जांच करने पर हमें पता चलेगा कि हमारी भूमि में कौन सी तत्व की कमी है तथा उसकी पूर्ति करने से हमारे जमीन की गुणवत्ता में वृद्धि होगी! इस गोष्ठी का उद्देश्य गना कृषकों को उन्नत प्रजाति की गना बीज की जानकारी, गन्ने की फसल में लगने वाली तरह-तरह के बीमारियों तथा उसमें प्रयोग की जाने वाली दवाईयां तथा उनको गन्ने की वैज्ञानिक विधि से कृषि कैसे करें जिससे की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़े इसकी जानकारी कृषकों को प्रदान करना है ! गना शोध परिषद के वैज्ञानिकों द्वारा उन्हें इस संबंध में वार्ता कर इस संबंध में जानकारी प्रदान की जाती है !इस गोष्ठी में प्रतिभाग करते हुए गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारियों द्वारा बताया गया कि वर्तमान में 15023. 0118 14201 जैसी उन्नतशील प्रजातियां है जिनको गना कृषकों को प्रोत्साहित करना चाहिए! वर्तमान में 0238 रेड रोड की चपेट में आने की संभावना है! अतः कृषकों को चाहिए कि वह इसका रिप्लेस करें! वैज्ञानिकों ने गने में आने वाली विभिन्न बीमारियों ,उसकी रोकथाम तथा उसकी दवाइयां के बारे में भी जानकारी दी! इस गोष्ठी में प्रचार एवं जनसंपर्क अधिकारी निलेश कुमार श्रीसंजय कुमार ,श्री प्रमोद कुमार तथा गन्ना विकास के अधिकारी तथा कर्मचारी और क्षेत्र के कृषक उपस्थित रहे!