पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से विकसित करने के लिए बनाया गया सरकारी निकाय राष्ट्रीय कामधेनु आयोग 25 फरवरी को ‘गौ विज्ञान’ परीक्षा का आयोजन करेगा। परीक्षा के लिए 18 फरवरी तक रजिस्ट्रेशन होगा। यह परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित होगी। कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा चार श्रेणियों में होगी-(1) प्राथमिक स्तर से 8वीं कक्षा तक (2) माध्यमिक स्तर (कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक) (3) कॉलेज स्तर (12वीं के बाद) (4) आम जनता के लिए। कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा 100 अंकों की होगी और हिंदी, अंग्रेजी और 12 क्षेत्रीय भाषाओं के लिए एक घंटे की अवधि होगी।
परीक्षा के लिए कोई शुल्क नहीं है। परीक्षा टिक-मार्क ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न-उत्तर (एमसीक्यू) होगी। पाठ्यक्रम के साथ-साथ गायों पर साहित्य और संदर्भ पुस्तकें, जो राष्ट्रीय कार्यमधेनु आयोग की वेबसाइट पर अनुशंसित की जाएंगी, परीक्षार्थियों की परीक्षा की तैयारी में मदद करेंगी। ब्लॉग, वीडियो और चयनित पठन सामग्री को आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। वैज्ञानिक, उद्यमी, गौसेवक, किसान, युवा और महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक सक्रिय रूपसे इस जबरदस्त कार्यक्रम को एक शानदार सफलता बनाने के लिए काम करेंगे।
परीक्षा पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से आयोजित की जाएगी। प्रश्न इस तरह से सेट किए जाएंगे कि ऑनलाइन परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की तिकड़म नहीं चलेगी। परिणाम तुरंत आरकेए की वेबसाइट पर घोषित किए जाएंगे। सभी को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। सफल मेधावी उम्मीदवारों को बाद में पुरस्कार और प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। परीक्षा के आयोजन में मदद करने वाले सभी लोगों को प्रशंसा पत्र जारी किए जाएंगे।
ऑनलाइन परीक्षा के लिए पंजीकरण लिंक राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की वेबसाइट http://kamdhenu.gov.in और http:// kamdhenu.blog.http: // kamdhenu.blog है। आयोजन को एक शानदार सफलता बनाने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्य के शिक्षा मंत्री, सभी राज्यों व जिलों के गौसेवा आयोगों के अध्यक्ष, राज्यों के शिक्षा अधिकारी, स्कूलों के प्रधानाचार्य, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, गैर सरकारी संगठन, गौ दानकर्ता भी शामिल होंगे।
गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा भविष्य में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का वार्षिक आयोजन बन जाएगा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल, ग्रीन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, मेक इन इंडिया के उद्देश्यों को भी पूरा करेगा। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग देशभर में यह संदेश देने में सफल रहा है कि गाय सिर्फ दूध देने वाला पशु नहीं है, बल्कि इसके पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक फायदे बहुत हैं। इसके तथाकथित अपशिष्ट उत्पाद जैसे गाय-गोबर और गौमूत्र, जो सस्ते और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, स्वाभाविक तरीके से सड़नशील और पर्यावरण के अनुकूल हैं, इसलिए गाय पालन को टिकाऊ बनाने के लिए गाय उद्यमी इनका लाभ उठा सकते हैं, जो बदले में देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान कर सकते हैं।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के इस वर्ष के कुछ अभियानों अर्थात गौमायागणेश अभियान, कामधेनुदीपावली अभियान, कामधेनु देवदीपावली और सेमिनारों और वेबिनारों की एक श्रृंखला ने गाय के गोबर और गोमूत्र के उपयोगों का संदेश बहुत प्रभावी ढंग से दिया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन भारत सरकार ने गायों और उनकी संतानों के संरक्षण, उनके पालन, सुरक्षा और विकास के लिए और पशु विकास कार्यक्रमों के लिए दिशा-निर्देश देने के लिए किया है। आरकेए नीतियों को तैयार करने और मवेशियों से संबंधित योजनाओं के कार्यांवयन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए एक उच्च अधिकार प्राप्त स्थायी निकाय है ताकि छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं और युवा उद्यमियों के लिए आजीविका उत्पादन पर अधिक जोर दिया जा सके।