आज मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से शिष्टाचार भेंट की।प्रतिनिधिमंडल में सदस्य एनडीएमए राजेंद्र सिंह, संयुक्त सचिव एनडीएमए रमेश कुमार एवं संयुक्त सलाहकार एनडीएमए नवल प्रकाश,सचिव एसए मुरूगेशन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण रिद्धिम अग्रवाल एवं अधिशासी निदेशक उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पीयूष रौतेला शामिल थे।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदा एवं राहत व बचाव कार्य जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुयी।इस दौरान राजेंद्र सिंह ने देश भर में शुरू हुई आपदा मित्र योजना का का जिक्र किया,जिसके तहत देश के 720 जनपदों में से 350 जनपदों में लगभग एक लाख आपदा मित्र तैयार करने की योजना है, जिसमें उत्तराखंड के दो जनपद हरिद्वार एवं उधमसिंह नगर शामिल हैं।उन्होंने बताया योजना के अंतर्गत आपदा मित्रों को 12 से 15 दिन का बचाव एवं राहत कार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस दौरान मुंख्यमंत्री ने कहा वनाग्नि जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए बनाई गई योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों में मैदानी क्षेत्रों के अनुसार योजनाएं बनाई जाती रही हैं। परंतु पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप एवं प्रभाव मैदानी क्षेत्रों से भिन्न है। इसलिए योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों को बनाते समय पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर मकान मिट्टी एवं छतें फटालों से बनायी जाती हैं। आपदा की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मकानों को कच्चा मकान कहा जाता है, इससे आपदा प्रभावितों को काफी कम आर्थिक मदद प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार के मकानों को पक्के मकानों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।