देहरादून। देश में सत्ता, सियासत और सिंहासन बदलते देर नहीं लगती. ताजा उदाहरण उत्तराखंड का है। महज 21 साल पहले बने इस पहाड़ी राज्य में एक मुख्यमंत्री के सिवाय कोई 5 साल तक कुर्सी संभाल नहीं सका।
नित्यानंद राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने
साल 2000 में आस्तित्व में आए इस प्रदेश में पहली बार नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री बनते हैं. लेकिन महज एक साल के भीतर ही मुख्यमंत्री पद से उनकी छुट्टी हो जाती है. और 30 अक्टूबर 2001 सत्ता संभालते हैं भगत सिंह कोश्यारी जो आजकल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. उनका सफर भी महज 122 दिन में समाप्त हो जाता है।
4 महीने भी सीएम नहीं रह सके तीरथ सिंह रावत, जानिए क्यों दिया इस्तीफा
राज्य का अकेला कांग्रेस मुख्यमंत्री जिसने पूरे 5 साल संभाली कुर्सी
दो मार्च 2002 को उत्तराखंड में पहली बार कांग्रेस सरकार बनाती है और नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बनते हैं. सबसे रोचक बात यही है कि राज्य के गठन से लेकर अब तक इतिहास में केवल नारायण दत्त तिवारी ही ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया.
दूसरी विधानसभा (2007- 2012)
राज्य में दूसरे विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा सरकार बनाती है. इस बार गद्दी संभालते हैं, भुवन चंद्र खंडूरी. इनका कार्यकाल भी कुछ खास लंबा नहीं चल पाता और दो साल और 4 महीनों के बाद इनकी जगह रमेश पोखरियाल निशंक को कुर्सी मिलती है.
भुवन चंद्र खंडूरी की वापसी
पोखरियाल को राज्य की सत्ता संभाले हुए दो वर्ष होते हैं, और पासा एक बार फिर पलट जाता है, और एक बार फिर भुवन चंद्र खंडूरी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होते हैं, लेकिन मजह 6 महीनों के लिए.
तीसरा विधान सभा चुनाव- फिर सत्ता में आई कांग्रेस
2012 के विधान सभा चुनाव में सत्ता कांग्रेस के हाथ में आती है, और राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं कांग्रेस ने कद्दावर नेता विजय बहुगुणा जोशी. लेकिन बहुगुणा को भी 2 साल बाद गद्दी छोड़नी पड़ जाती है. इसके बाद हरीश रावत सरकार की बागडोर संभालते हैं.
2012 में जब तीसरी विधानसभा का चुनाव हुआ, तो कांग्रेस सत्ता में आई और कांग्रेस ने कद्दावर नेता विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि विजय बहुगुणा भी दो साल ही इस पद पर रह पाए। उसके बाद हरीश रावत को कांग्रेस ने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया। दो साल दो महीने तक मुख्यमंत्री बने रहने के बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
हरीश रावत बने मुख्यमंत्री
25 दिन के राष्ट्रपति शासन और राजनैतिक अस्थिरता के बीच 21 अप्रैल 2016 को एक बार फिर हरीश रावत महज एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने. इसके बाद फिर राष्ट्रपति शासन लग गया. सियासी उठापटक के बाद हरीश रावत 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017 के लिए एक बार फिर मुख्यमंत्री बने.
2017 में बनी त्रिवेंद्र सरकार
2017 के विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा भाजपा के सिर बंधता है और त्रिवेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बनते हैं. चार साल तक राज्य की सत्ता संभालने वाले त्रिवेंद्र सिंह से उम्मीद की जा रही थी कि वह अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन उनको भी 5 साल पूरे किए बगैर ही कुर्सी छोड़नी पड़ती है.
10 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत
बता दें कि तीरथ सिंह रावत को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह पर मुख्यमंत्री पद की कमान दी गई थी. जिसके बाद रावत ने इसी साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था. लेकिन महज तीन महीने बाद ही उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा.
किसका कितना रहा कार्यकाल👉 👉👉👉 👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
👉1.नित्यानंद स्वामी- 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001
👉2.भगत कोश्यारी- 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002
👉3.एनडी तिवारी- 2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007
👉4.बीसी खंडूरी – 7 मार्च 2007 से 26 जून 2009
👉5.डॉ. रमेंश पोखरियाल- 27 जून 2009 से 10 सितंबर 2011
👉6.बीसी खंडूरी- 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012
👉7.विजय बहुगुणा- 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014
👉8.हरीश रावत- 1 फरवरी 2014 से 27 मार्च 2016
👉9.हरीश रावत- 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017
👉त्रिवेंद्र सिंह रावत- 18 मार्च 2017 से 9 मार्च 2021
👉11.तीरथ सिंह रावत- 10 मार्च 2021 से 2 जुलाई 2021