नैनीताल। उत्तराखंड में कोरोना वायरस महामारी को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं के मामले में आज गुरुवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने इन सभी याचिकाओं को गंभीरता से लेते हुए, सरकार को अंतिम मौका देते हुए चार बड़े जिलों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल के संबंध में विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। याचिकाकर्ता सचिदानंद डबराल, अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, अधिवक्ता डीके जोशी, राजेन्द्र आर्य एवं रामस्वरूप की ओर से दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की युगलपीठ में आज सर्वप्रथम सुनवाई हुई। पीठ ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया और सरकार के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की।
सरकार की ओर से जो जवाब पेश किया गया है, अदालत उससे संतुष्ट नजर नहीं आयी और उसे चार बड़े जिलों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल के संबंध में 20 अक्टूबर तक पुनः विस्तृत पेश करने के निर्देश दिये।
अधिवक्ता शिव भट्ट ने बताया कि उच्च न्यायालय की निगरानी में बनी समितियों की ओर से कोविड अस्पतालों में व्यवस्थाओं और कोरोना महामारी के रोकथाम के संबंध में कई सुझाव अदालत को दिये गये हैं। अदालत की ओर से इन सुझावों पर अनुपालन करने के लिये सरकार को भेजे गये हैं और कहा गया है कि इन सुझावों का अनुपालन कर रिपोर्ट अदालत में पेश करे। सरकार की ओर से आज अदालत को बताया गया है कि कोरोना महामारी की रोकथाम के मामले में केन्द्र सरकार के गाइड लाइन का अनुपालन किया जा रहा है लेकिन अधिवक्ता शिव भट्ट की ओर से इसका विरोध किया गया।
अब सरकार को फिर से बताना है कि चार जिलों में पूर्णबंदी को लेकर उसका क्या रूख है। साथ ही कोविड अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं या नहीं। अस्पतालों में जांच के लिये पर्याप्त संख्या में ट्रूनेट मशीनें उपलब्ध करायी गयी हैं या नहीं। साथ इन जिलों में शारीरिक दूरी और मास्क पहनने के संबंध में सरकार द्वारा क्या कदम उठाये गये हैं।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी है। जांच के लिये मशीनें नहीं हैं। लोगों द्वारा सामाजिक दूरी और मास्क का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। जिससे कोरोना महामारी बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है, उच्च न्यायालय की ओर से जिला अधिकारी और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अगुवाई में राज्य के सभी जिलों में जिला निगरानी समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों को कोविड अस्पतालों का मुआयना कर उच्च न्यायालय को सुझाव पेश किये जाने हैं।