उत्तराखंड के सहायता प्राप्त 18 अशासकीय महाविद्यालय के शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी विगत लंबे समय से अंब्रेला अधिनियम में पूर्ण सुधार समेत तमाम मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ लामबंद है। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक कोई भी कार्यवाही न किए जाने की वजह से इन अशासकीय कॉलजों शिक्षक तथा शिक्षेणत्तर कर्मचारियों ने आज शुक्रवार को फिर सरकार के खिलाफ अंब्रेला अधिनियम में पूर्ण सुधार समेत तमाम मांगों को लेकर अपने-अपने महाविद्यालयों में कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए धरना प्रदर्शन के साथ- साथ जुलूस भी निकाला। प्राचार्य परिषद ने भी विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया। इसके अलावा विरोध प्रदर्शन को प्रदेश के छात्र संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया। इसी के साथ-साथ कॉलेज प्रांगण में छात्र संगठनों ने कहा की इस प्रक्रिया से प्रदेश के छात्र छात्राओं का नुकसान हो रहा है और आज के इस चरण में कॉलेज में शिक्षकों ने मार्च भी निकाला, जिसमें शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मचारी तथा छात्रों ने भी भागीदारी की ।
ग्रुटा सचिव डॉ डीके त्यागी ने कहा कि शिक्षकों के इतने दिनों से चल रहे आंदोलन पर सरकार संवेदनहीनता का परिचय दे रही है। उसे शिक्षकों के वर्ग से समाधान की ओर बात करनी चाहिए । इस मौके पर विभिन्न शिक्षकों ने अपने उद्बोधन में सरकार की नीतियों का विरोध भी किया।साथ ही सरकार के द्वारा लाए गए अंब्रेला अधिनियम में जल्द ही पूर्ण सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर ग्रुटा के महामंत्री डॉ० डी. के. त्यागी, डॉ राणा, प्रदीप जोशी, डॉ एस पी जोशी, डॉ शिखा डॉ रंधावा, डॉ गुप्ता, डॉ कोठियाल डॉ पारुल, डॉ डांग, डॉ रमेश शर्मा, डॉ जस्सल, डॉ अतुल,डॉ गंभीर सिंह, डॉ रवि शरण तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों तथा सभी छात्र संगठनों,सहित बड़ी भारी संख्या में शिक्षक तथा शिक्षकों तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।