आर्थिक संपन्नता हेतु माता लक्ष्मी के साथ श्री गणेश जी की भी करेंगे उपासना तो मिलेगा सामान्य से कई गुना ज्यादा लाभ: श्री देवेंद्र बिष्ट विश्लेषक।

👉 आइए जानते है ज्योतिष विज्ञान को गहनता से समझने वाले देवेंद्र सिंह बिष्ट जी से।

देहरादून १६ जनवरी। कुण्डली में द्वितीय, पंचम, नवम एवं एकादश भाव धन से सम्बन्धित होते हैं और बृहस्पति धन का कारक ग्रह होता है। कुण्डली में शुभ शुक्र देवी लक्ष्मी का प्रतीक होता है और यदि अच्छी स्थिति में हो तो अपनी दशा में प्रचुर मात्रा में धन-सम्पत्ति की वृद्धि करता है। इस सन्दर्भ में लग्न एवं लग्नेश भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। यदि कुण्डली में लग्न एवं लग्नेश बनी हो तो कई दोषों को स्वतः ही समाप्त कर देते हैं। लग्नेश की विभिन्न भावों में स्थिति इस बात को प्रदर्शित करती है कि किस प्रकार के प्रयास से और किस दिशा में जातक को उपयोगी परिणाम प्राप्त होंगे और धनार्जन के प्रयास सफल होंगे। धनवान हो सकता है लेकिन वह साथ ही साथ कंजूस भी हो सकता है। जातक धन का किस प्रकार व्यय करता है अथवा करता भी नहीं करता, यह है या जानने के लिए द्वादशेश का अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है। द्वादश पीड़ित होने का जातक का भाव का अर्थ है मानसिक रूप से चिड़चिड़ा होना है एवं क्रूर।
धन सम्पत्ति के लिए द्वितीय भाव की विवेचना करते समय द्वादश भाव का भी विचार आवश्यक रूप से करना चाहिए। एक जातक अध्यधिक

किसी भी जातक की कुण्डली में धन- सम्पत्ति के संदर्भ में चतुर्थ भाव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि वह भूमि, सम्पत्ति

एवं वाहनों की स्थिति को दर्शाता है। चतुर्थ भाव छुपा हुआ संसार भी है जिसका अर्थ है गुप्त लक्ष्य, गुप्त सुरक्षित धन अथवा गुप्त संरक्षित धन। यदि चतर्थ भाव बनी है तो जातक के पास सदैव संरक्षित धन उपलब्ध होगा और जातक अधिक प्राप्ति की इच्छा से पूर्ण होगा। कई धनवान व्यक्तियों की कुण्डली में लग्न एवं चतुर्थ भाव अथवा इनके

स्वामियों में सम्बन्ध देखा

जा सकता है। हमारे

शास्त्रों में धन-सम्पत्ति

के लिए कई उपाय व

साधनाएं बताई गई है।

प्रायः आप सभी ने यह पाया होगा कि दीपावली की रात्रि में जो पूजन करते हैं उसमें लक्ष्मी के साथ भगवान श्री गणेश जी का पूजन भी होता है। इसमें गणपति ही क्यों लक्ष्मी जी के पति तो भगवान विष्णु है उनका पूजन न होकर गणपति जी पूजे जाते हैं। यदि लक्ष्मी के साथ गणपति न पूजा जाए तो धन तो आता है लेकिन व धन टिकता नहीं है अर्थात स्थिरनहीं रहता। किसी न किसी रूप् में लक्ष्मी का घर में स्थायित्व होना चाहिए, गणपति स्थिरता के

देवता हैं। यह पृथ्वी तत्व के देवता हैं यह किसी भी चीज को ठोस आकार दे देते हैं इसलिए सनातन धर्म में दीपावली की रात भगवान गणेश का भी पूजन करना चाहिए। यदि जीवन में आर्थिक परेशानियां नहीं है, कर्ज की स्थिति नहीं है लेकिन जो यथोष्ट आर्थिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए तो भी नहीं है आप उसे मजबूत करना चाहते हैं तो शास्त्रों में दिए लक्ष्मी उपाय, साधनाएं व अन्य को करके आप सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
नोट – उपरोक्त लेख की सामग्री में लेखक के अपने विचार हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here