कुछ समय पूर्व भी हम एक छोटे से लेख में ब्लैक फंगस पर कुछ बता चुके हैं.. आइए जानते हैं थोड़ा सा विस्तार से… 👇
देहरादून द फोकस आई हमारा देश अभी कोरोना महामारी से उबरा नहीं कि देश में एक नई आफत ने दस्तक दे दी है । वैसे ही अपने आप में कोई नई बीमारी तो नहीं है लेकिन क्योंकि अभी आई है इन दिनों हैं प्रकाश में तो इसलिए इसे नई बीमारी >दुर्लभ < के रूप में देश के सामने नई आफत ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के रूप में सामने आई है । इसे जायगोमायकोसिस के नाम से भी जाना जाता है । सीडीसी यानि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक यह एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक फंगल इन्फेक्शन है जो म्यूकोरमाइसेट्स नाम के फफूंद यानि फंगस के समूह की वजह से होता है । यह फंगस वातावरण में प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है। यह इंसानों पर तब ही हमला करता है , जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है । हवा में मौजूद यह फंगल स्पोर्स यानि फफूंद बीजाणु सांस के जरिए हमारे फेफड़ों और साइनस में पहुंच कर उन असर डालते हैं । यह फंगस शरीर में लगे घाव या खुली चोट के जरिये भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं ।
जानकारी के अनुसार यह फंगस साइनस क्षेत्र से फेफड़ों में प्रवेश करता है। कई मामलों में यह भी सामने आया है कि यह साइनस क्षेत्र से आंखों में चला जाता है , वहां से सीधा मस्तिष्क में प्रवेश करता है । ऐसे में इस फंगस का मस्तिष्क में प्रवेश बेहद खतरनाक है। इससे आंखों की रोशनी जाती रहती है , समय रहते इलाज नहीं करवाने की स्थिति में मौत भी हो सकती है ।
ऐसे में बताया जा रहा है कि मजबूत इम्युनिटी के साथ ब्लैक फंगस को बड़ी आसानी मुकाबला के साथ हराया जा सकता है । मजबूत इम्युनिटी का मतलब हमारी बीमारियों से लड़ने की क्षमता से है। लेकिन इससे भी जरूरी यह है कि हमें ब्लैक फंगस के लक्षणों को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है । म्यूकरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस के लक्षणों में मुख्यत: आंख व नाक में लोगों के आसपास दर्द , लालिमा व सूजन के साथ बुखार और सिरदर्द रहता है। खांसी और हांफना , खून की उल्टी , साइनोसाइटिस यानि नाक बंद होना या नाक से काले म्यूकस का डिस्चार्ज होना , दांत ढीले हो जाना या जबड़े में दिक्कत महसूस होना और नेक्रोसिस यानि किसी अंग का गलना तथा त्वचा पर चकत्ते का पड़ना इत्यादि इसकेलक्षणों में शामिल हैं। देश ऐसे में हमारी सतर्कता हमें ब्लैक फंगस से लड़ने में बहुत मददगार साबित होगी । मगर ध्यान देने योग्य बात यह है कि नाक बंद होने के सभी मामलों को बैक्टीरियल इंफेक्शन न समझें विशेष रूप से कोरोना मरीजों में। सबसे जरूरी यह है कि डॉक्टर की सलाह लेने और इलाज शुरू करने में बिलकुल भी देरी न करें । यदि धूल वाली जगह पर जाएं , तो मास्क का प्रयोग जरूर करें । म्यूकरमाइकोसिस मरीज के साइनस के साथ आंख , दिमाग , फेफड़ों या त्वचा पर भी हमला कर सकता है । यदि समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है ।